निवेदन।


फ़ॉलोअर

सोमवार, 16 जनवरी 2017

549......ताजी खबर है देश के एन जी ओ ऑडिट नहीं करवाते हैं

सादर अभिवादन
सोलह एक सत्रह
गणित चलता ही रहता है
आज से नौ दिन बाद
एक राष्ट्रीय पर्व आने वाला है
दिन गुज़रते जा रहे हैं और
एक के बाद एक कील
हमारे ताबूत में ठुकती चली जा रही है अनवरत..
है न गहरी बात..
किसी फिल्म का एक डॉयलाग याद आ रहा है
जब ज़िन्दगी के दिन कम बचे होें तो डबल जीने का...
ये फिलासफी यहीं तक....
आगे बढ़ते हैं.....

जरा सा चूमकर, उनींदी सी पलकों को,
कुछ देर तक, ठहर गई थी वो रात,
कह न सका था कुछ अपनी, गैरों से हुए हालात,
ठिठक कर हौले से कदम लिए फिर,
लाचार सी, गुजरती रही वो रात रुक-रुककर।

शिव, अपना तीसरा नेत्र खोलो,
तो कुछ ऐसे देखना 
कि जल जाय एक-एक कर सब कुछ,
पर बची रह जाय आख़िर तक 
जाड़े की यह गुनगुनी धूप.

प्रीत पुरानी 
यादें हैं हरजाई 
छलके पानी। 

नेह के गीत 
आँखों की चौपाल में 
मुस्काती प्रीत


दुश्चिंता.... साधना वैद
ज़िंदगी के टेढ़े मेढ़े रास्तों पर
अब तक चलती आई हूँ
तुम्हारा हाथ थामे !
कभी हाथों में संचित
चंद पाँखुरियाँ बिछा कर


आंसुओं का बोझ...मंजू मिश्रा
देखो...
तुम रोना मत 
मेरे घर की  दीवारें
कच्ची हैं 
तुम्हारे आंसुओं का बोझ 
ये सह नहीं पाएंगी 


उस पार का जीवन... सुशील कुमार शर्मा
है शरीर का कोई विकल्प
या है निर्विकार आत्मा
है वहां भी सुख-दु:ख का संताप 
या परम शांति की स्थापना।


आज का शीर्षक.......
ना थाने 
जाते हैं 
ना कोतवाल 
को बुलाते हैं 
सरकार से 
शुरु होकर 
सरकार के 
हाथों 
से लेकर 
सरकार के 
काम 
करते करते 
सरकारी 
हो जाते हैं । 

मेरे व्यथित दिमाग ने एक गलती कर डाली है
सभी को सत्रह तारीख की सूचना दे दी हूँ
नज़रअंदाज कर दीजिएगा

इज़ा़ज़ मांगती है यशोदा

इस डांस को देख कर मन हलका कर लीजिए

















3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति और सकारात्मक ऊर्जा से भरा गीत प्रस्तुति हेतु धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. खूबसूरत सूत्र एवं सार्थक प्रस्तुति मेरी 'दुश्चिंता' को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार यशोदा जी ! आप व्यथित क्यों हैं ? क्या हुआ है ? अनुचित न समझें तो आप मेरे साथ शेयर कर सकती हैं ! दुःख बाँँटने से कम हो जाता है ! और मुझसे बाँट कर यदि आपकी व्यथा कम होती है तो मुझे बहुत संतोष होगा ! प्लीज़ !

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा संकलन।
    परमपिता से प्रार्थना है कि आपकी व्यथा दूर करे।
    शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...