अच्छी हूँ आज..
..........
कर्म फल के समय संसार में रोने वाले बहुत मिल जायेंगे
परन्तु..........
कर्म बंधन के समय सावधान रहने वाले विरले ही मिलेंगे।
~ अज्ञात
चलिए चलते है आज की रचनाओं की ओर...
कविता का दिक् काल...डॉ. किरण मिश्रा
युवा कविताएं उतार रही है कपडे
उन हिस्सों के भी
जिन्हें ढकने की कोशिश
में त्रावणकोर की महिलाओं ने
कटा दिये थे अपने स्तन
वो सुना रही है कहानी
उन पांच दिनों की
ये शायद टोटका है उनका
आज का शीर्षक...
ड्योढ़ी कब लांघे ?...... विभा दीदी
पति या पत्नी का बहकना
उसके पीछे होता
उसे मिले
संस्कार का होना
सहना तभी तक गहना
जब तक मान न गंवाना
हर भाई बहना समझना
आज्ञा माँगती है यशोदा
आज आदरणीय विभा दीदी की
दो रचनाएँ हैं...समयानुकूल हैं
और एक छिपी हुई रचना भी है
सादर
सस्नेहाशीष
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात छोटी बहना
आभारी हूँ
सवालों के अम्बार में दबी
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हलचल प्रस्तुति
सादर
हमेशा अच्छी रहें । सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंअति सुंदर
जवाब देंहटाएंBehatreen links avm prastuti ....
जवाब देंहटाएं