सादर अभिवादन
आज अभी तक विरम सिंह जी नहीं दिख रहे हैं
मेरी पसंद की कुछ रचनाएँ...
पहली बार..पहली प्रस्तुति
शुरुआती कदम... वैभवी
कठिनाईयां..
जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों को मिटा नहीं सकते। क्योंकि अपनी समस्याओं एंव कठिनाईयों की वजह आप स्वयं हैं।
तिरंगा शहीदों का कफन होता है ......
बलात्कार की शिकार हुई .....
बालाओं .....
नारियों का कफन क्या हो ?
भीगा भीगा है समय,पहली है बरसात।
मानसून लो आ गया ,भीगे हैं जज्बात।।
सारी धरती खिल उठी ,खुश है आज विशेष
सावन की बौछार से ,रहा नहीं दुख शेष ||
यकीन नहीं था कि गली के नुक्कड़ पर पहुँचते ही मुझे नुक्कड़-नाटक के दर्शन साक्षात होने लगेंगे । सौभाग्य इतना होगा कि मुझे भी उस नुक्कड़-नाटक में शामिल कर लिया जाएगा । हुआ यह कि नुक्कड़ पर पहुँचते ही मेरी साइकिल को किसी ने ठोंक दिया ।
कभी किसी ने
कुछ कह दिया
कभी किसी ने
कुछ कहा नहीं
किसकी बात
ज़हन में रखूँ?
आज का शीर्षक..
स्वप्न बड़े हो गए
व्योम से
अभिलाषा बड़ी हो गई
बसुधा से
निराशा बड़ी हो गई
आशा से
...
आज्ञा दें यशोदा को
Good Morning
जवाब देंहटाएंThank you very much
Regards
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष संग अशेष शुभकामनायें छोटी बहना
मांग कफन
मान शान तिरंगा
सलाम तुझे
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
बहुत सुन्दर प्रस्तुति । हलचल दिन पर दिन निखर रही है ।
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
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