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रविवार, 21 अगस्त 2016

401......जलाई जा रही हूँ हर रोज, बदज़ुबानी की आग से

नमस्कार
आज रविवारीय चर्चा 
मे आपका स्वागत है

आज की सीख 
चार बातों  को याद रखें   :-  बड़े बूढ़ों का आदर करना , छोटों से स्नेह रखना  व उनको पूर्ण सरंक्षण देना , बुद्धिमानों से सलाह लेना और मूर्खो के साथ कभी न उलझना |


आइए अब चलते है आज की
 पांच रचनाओ की लिंको की ओर

उन्हें पसंद नहीं 
तुम्हारा आँखें दिखाना.
वे कुछ भी कहें,
तुम सिर झुकाए सुनती रहो,
बीच-बीच में नाड़ हिलाकर 
हामी भर दो, 
तो और भी अच्छा.

बदले हालात को पहचानो,
अब छूट चुका है तुम्हारा मायका,
हो चुकी हो तुम किसी और की,


ज़िन्दगी की बालकनी से देखती हूँ अक्सर
हर चेहरे पर ठहरा अतीत का चक्कर

ये चेहरे पर खिंची गहरी रेखाएं गवाह हैं
एक सिमटे दुबके भयभीत जीवन की

ज़िन्दगी के पार ये सब कुछ है
मगर नहीं है तो बस 'ज़िन्दगी' ही



बकरे कटने 
के लिये ही 
होते हों 
या 
बकरे हर समय
हर जगह कटें ही 
जरूरी नहीं है 
हर कोई 
बकरे नहीं 
काटता है 
कुछ लोग 
जानते हैं 
बहुत ही 
अच्छी तरह 
कुछ बकरे 
शहर में 
मिमियाने 
के लिये 
छोड़ने भी 
जरूरी होते हैं



दुनिया मे ऐसा कोई नहीं - 
जिसे जमाने मे कोई गम नही।
हर कोई खोया है अपने गम में - 
हर किसी को लगता है कि -

उसका गम किसी से कम नहीं।
देखेंगे अगर अपने से ग़रीब किसी को - 
तो पता चलेगा कि उसका गम भी कुछ कम नही॥


    

बदहवाश एक जान को, ज़िन्दगी की जंग लड़ते देखा हैं?
हाँ मेरे हाथो में भी, खिंची कुछ वैसी ही रेखा हैं,
कुछ बदशक्ल सी हैं ज़िन्दगी, अपनों के ही दंश से,
गुरुर उनको सिर्फ इसका हैं, सब चल रहा हैं उनके वंश से।

जलाई जा रही हूँ हर रोज, बदज़ुबानी की आग से,
कमबख्त कौन सी वो चीज़ हैं, जिसे पाने के लिए जीती हूँ,
घिरी अपनों से हूँ लेकिन, पराई मेरी काया हैं,
मुझे हररोज़ उन्हीं हाथों ने, रह-रह कर जलाया हैं।



बस आज के लिए इतना ही ।
अब दिजिये 
आज्ञा 
विरम सिंह 
सादर

7 टिप्‍पणियां:

  1. वाह...
    बहुत सुन्दर
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति विरम जी । 'उलूक' आभारी है उसके सूत्र 'अच्छे लोग और उनके उनके लिये मिमियाते बकरे' को आज की हलचल में जगह देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा लिंक्स|आपकी choice बहुत अच्छी है |

    जवाब देंहटाएं
  4. सारी रचनाएं आज के सामाजिक जीवन पर किसी न किसी रुप मेंकटाक्ष कर रही हैं ..बेहतरीन सृजन

    जवाब देंहटाएं
  5. सारी रचनाएं आज के सामाजिक जीवन पर किसी न किसी रुप मेंकटाक्ष कर रही हैं ..बेहतरीन सृजन

    जवाब देंहटाएं

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