आज का यह पृष्ठ कृष्ण मय हो गया है
भाई कुलदीप जी आज लौटेंगे दिल्ली से
जन्मे कृष्ण कन्हैया..............कंचन प्रिया
ए बुआ आओ ज़रा काजल लगाओ
नज़र ना लग जाये भईया
जन्मे कृष्ण कन्हैया
कविता की मौत........धर्मवीर भारती
याद आती है मुझे
भागवत् की वह बड़ी मशहूर बात
जबकि ब्रज की एक गोपी
बेचने को दही निकली,
औ' कन्हैया की रसीली याद में
बिसर कर सुध-बुध
बन गई थी खुद दही.
और ये मासूम बच्चे भी,
बेचने जो कोयले निकले
बन गए खुद कोयले
श्याम की माया
प्रलय... डॉ. जेन्नी शबनम
नहीं मालूम कौन ले गया
रोटी को और सपनों को
सिरहाने की नींद को
और तन के ठौर को
राह दिखाते ध्रुव तारे को
........
कल जन्म तो हो गया
गोकुल में आज धूम मची है
खील-बताशे
दूध-दही-माखन
लूटा व बांटा जा रहा है
और रायपुर में
दही-लूट के लिये टोलिया सज-संवर रही है
आज्ञा दें यशोदा को..
इसे तो कल देना था खैर..
सादर
वाह बहुत सुन्दर जय श्री कृष्ण ।
जवाब देंहटाएंबड़ी ही उत्तम श्री कृष्ण मय चर्चा
जवाब देंहटाएंमुझे स्थान देने के लिए सादर धन्यवाद
जय श्री कृष्ण
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की
सुन्दर कृष्ण मय हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएं