ब्लॉग सरदार भाई कुलदीप जी
प्रदर्शनी, मीटिंग व कार्यशाला में
हिस्सा लेने दिल्ली में हैं
सो.. शनिवार तक हम दो ही सरदार हैं
मैं व विभा दीदी.....
उनकी बात छोड़िए..
मैं व वे एक ही थैली के चट्टे-बट्टे हैं
प्रस्तुत है...आज की पसंदीदा रचनाएँ...
आप यूं ही अपना आशीष देते रहना....सदा
पापा आपकी यादों से
आज फ़िर मैंने
अपनी पीठ टिकाई है
पलकों पे नमी है ना
मन भावुक हो रहा है
कोई उम्र तय की है क्या तुमने प्यार की...सुषमा वर्मा
क्यों अब इंतजार....
तुम्हारी आँखों में नही दिखता,
क्यों अब वो मुझ पर एतबार,
तुम्हारी बातो में नही मिलता,
छत्तीसगढ़ में भले ही समुद्र नहीं है लेकिन ‘सी बीच’ की सैर करने और बोटिंग की तमन्ना रखने वालों को मायूस होने की जरूरत नहीं। शहरों की आपाधापी से दूर प्राकृतिक सौंदर्य से भरी यह ऐसी जगह है, जहाँ गर्मी में भी दिलोदिमाग को सुकून मिलता है। यहां मीलों तक 400-450 फीट की गहराई में पानी ही पानी है। हरे-भरे जंगल और पहाड़ों के बीच झीलनुमा इस जगह पर नीला जल दिल-ओ-दिमाग पर छा जाता है।
.....
आज्ञा दें आज..
यशोदा को
सादर..
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंक्यों अब वो मुझ पर एतबार,
तुम्हारी बातो में नही मिलता,
बहुत अच्छी प्रस्तुति दीदी ।
ज्ञान द्रष्टा को शामिल करने के लिए
धन्यवाद
सादर
सुन्दर बुधवारीय हलचल अंक यशोदा जी। आभार 'उलूक' का सूत्र 'दलों के झोलों में लगें मोटी मोटी चेन बस आदमी आदमी से पूछे किसलिये है बैचेन' की बैचेनी को आज की हलचल का शीर्षक देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति ..
जवाब देंहटाएंWaaah bht hi badhiya links or prastuti ....
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