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सोमवार, 8 अगस्त 2016

388...जिसका मिलता नहीं जवाब कभी

सादर अभिवादन
भाई विरम सिंह ने कल की प्रस्तुति
काफी से अधिक वज़नदार बनाई थी
कल उनके मस्तक मे देवी सरस्वती का वास था

चलिए चलते हैं मेरी पसंदीदा रचनाओं की ओर...



तुम तक दिल के भावों को लाऊँ कैसे..... महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’
तुम तक दिल के भावों को लाऊँ कैसे
तुमसे उल्फ़त है ये समझाऊँ कैसे

शब्दों में जो पूछा वो तो समझा है
नज़रों का मतलब लेकिन पाऊँ कैसे

बेचारी बनी हिंदी.... विभा दीदी
सब समझौता माँ ही करती है न
हिंदी भी क्या करे संस्कृत की बेटी संस्कृत से संस्कार ली
सबके परिवर्तन को अपनाते जाओ
अस्तित्व ही मिटाते जाओ


सुबह शाम 
कैसे हो दोस्‍त कहे 
मेरा ये मित्र !

फरमा रहा है फख्र से ,ये मुल्क शान से ,
कुर्बान तुझ पे खून की ,हर बूँद शान से।

फराखी छाये देश में ,फरेब न पले ,
कटवा दिए शहीदों ने यूँ शीश शान से .

बचपन में इक दूजे की 
थाम उँगली चलना
खेलना -कूदना 
लडना -झगडना
एक ही खिलौने के लिए 
कभी शाला में 
गलती होने पर
एक -दूसरे को 
डाँट से बचाने की कोशिश


फिर उठा वो सवाल सकते हो....... लक्ष्मीनारायण ‘पयोधि’
मेरे अरमान फ़लक पर रोशन,
कोई पत्थर उछाल सकते हो.

जिसका मिलता नहीं जवाब कभी,
फिर उठा वो सवाल सकते हो.

कौवे जब नेता बन गए....जन्मेजय तिवारी
इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हो गए और वरदान मांगने को कहा । वही बुजुर्ग कौवा हाथ जोड़ते हुए बोला, ‘प्रभु, आप हमें ऐसा वरदान दीजिए कि हमारा रूप-परिवर्तन हो जाए और हम इज्जत के पात्र बन सकें ।’ ‘तथास्तु ! अब जल्दी ही दुनिया तुम लोगों को मनुष्य-रूप में देखेगी । राज-नेता के रूप में नया अवतार होगा तुम सभी का ।’


आज बस इतना ही..
आज्ञा दें यशोदा को
सादर

9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभप्रभात
    सस्नेहाशीष छोटी बहना
    शानदार प्रस्तुतिकरण
    मेरे लिखे को मान देने के लिए आभारी हूँ

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात
    सादर प्रणाम
    यह तो आपका बड़प्पन है
    बहुत शानदार प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभप्रभात...
    सुंदर संकलन...
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी रचना को इन सभी सुंदर रचनाओं के बीच स्थान देने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी रचना को इन सभी सुंदर रचनाओं के बीच स्थान देने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं

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