भाई विरम सिंह ने कल की प्रस्तुति
काफी से अधिक वज़नदार बनाई थी
कल उनके मस्तक मे देवी सरस्वती का वास था
चलिए चलते हैं मेरी पसंदीदा रचनाओं की ओर...
तुम तक दिल के भावों को लाऊँ कैसे..... महेश चन्द्र गुप्त ’ख़लिश’
तुम तक दिल के भावों को लाऊँ कैसे
तुमसे उल्फ़त है ये समझाऊँ कैसे
शब्दों में जो पूछा वो तो समझा है
नज़रों का मतलब लेकिन पाऊँ कैसे
सब समझौता माँ ही करती है न
हिंदी भी क्या करे संस्कृत की बेटी संस्कृत से संस्कार ली
सबके परिवर्तन को अपनाते जाओ
अस्तित्व ही मिटाते जाओ
फिर उठा वो सवाल सकते हो....... लक्ष्मीनारायण ‘पयोधि’
मेरे अरमान फ़लक पर रोशन,
कोई पत्थर उछाल सकते हो.
जिसका मिलता नहीं जवाब कभी,
फिर उठा वो सवाल सकते हो.
कौवे जब नेता बन गए....जन्मेजय तिवारी
इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी प्रकट हो गए और वरदान मांगने को कहा । वही बुजुर्ग कौवा हाथ जोड़ते हुए बोला, ‘प्रभु, आप हमें ऐसा वरदान दीजिए कि हमारा रूप-परिवर्तन हो जाए और हम इज्जत के पात्र बन सकें ।’ ‘तथास्तु ! अब जल्दी ही दुनिया तुम लोगों को मनुष्य-रूप में देखेगी । राज-नेता के रूप में नया अवतार होगा तुम सभी का ।’
आज बस इतना ही..
आज्ञा दें यशोदा को
सादर
शुभप्रभात
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष छोटी बहना
शानदार प्रस्तुतिकरण
मेरे लिखे को मान देने के लिए आभारी हूँ
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंसादर प्रणाम
यह तो आपका बड़प्पन है
बहुत शानदार प्रस्तुति
सादर
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन...
आभार।
मेरी रचना को इन सभी सुंदर रचनाओं के बीच स्थान देने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इन सभी सुंदर रचनाओं के बीच स्थान देने के लिए बहुत -बहुत धन्यवाद यशोदा जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति ....
जवाब देंहटाएंWaaah ! Behatreen !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंएक नई दिशा !