प्रत्येक नये दिन के साथ...
आनंद के इस सफर में भी..
एक नया पन्ना...
जुड़ता जा रहा है...
चाहे कितने ही शास्त्रों का, कथन या वाचन तुम कर सकते|
शान्ति न पाओगे प्रिय तब तक, उनको है न विस्मृत करते||
कर्म करो या भोगों को भोगो, या समाधि में ध्यान लगाओ|
लेकिन आसक्ति रहित होकर के, ज्ञानस्वरूप आनंद उठाओ|
पढ़ा तो आज भी काफी कुछ है...
पर यहां केवल कुछ चुनी हुई कड़ियां ही...
आओ, हम फिर से जिएं........अजित कुमार
लौटा लाएं उसे,कहें .....'ओ, फिर से बहो! मंद, मंथर, मृदु गति से...
मगर तकसीम हिंदुस्तान होगा ...
हमें मतलब है अपने आप से ही
जो होगा गैर का नुक्सान होगा
दरिंदों की अगर सत्ता रहेगी
शहर होगा मगर शमशान होगा
देश की सिसकती प्राथमिक शिक्षा, दोषी कौन?
आंकड़े बताते हैं कि देश के ह़ृदय स्थल मध्य प्रदेश में 5,295 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें शिक्षक ही नहीं है। वहीं 17 हजार 972 विद्यालय ऐसे हैं, जो एक शिक्षक
के भरोसे चल रहे हैं। प्रदेश की 52.52 प्रतिशत यानि 12,760 माध्यमिक शालाओं के पास अपना स्वयं का भवन नहीं है। प्रदेश की प्राथमिक व माध्यमिक स्तर की क्रमश:
48900 (60.12 प्रतिशत) तथा 15413 (63.44 प्रतिशत) शालाओं में खेल का मैदान नहीं है तथा प्रदेश की 24.63 प्रतिशत प्राथमिक शालाओं तथा 63.44 प्रतिशत् माध्य. शालाओं
में पेयजल की अनुपलब्धता है। इसी प्रकार प्रदेश की 47.98 प्रतिशत प्राथ. शालाओं तथा 59.20 प्रतिशत माध्य. शालाओं में शौचालय ही नहीं हैं तथा प्राथमिक व माध्यमिक
स्तर की क्रमश: 56866 (69.91 प्रतिशत) तथा 15413 (63.44 प्रतिशत) शालाओं में बालिकाओं के लिये पृथक से शौचालय की व्यवस्था नहीं है।
अमर शहीद ऊधम सिंह जी की ७६ वीं पुण्यतिथि
इस घटना से वीर ऊधम सिंह तिलमिला गए और उन्होंने जलियांवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओडवायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली। ऊधम सिंह अपने काम को अंजाम देने के उद्देश्य से 1934 में लंदन पहुंचे। वहां उन्होंने एक कार और एक रिवाल्वर खरीदी तथा उचित समय का इंतजार करने लगे।
भारत के इस योद्धा को जिस मौके का इंतजार था, वह उन्हें 13 मार्च 1940 को उस समय मिला, जब माइकल ओडवायर लंदन के काक्सटन हाल में एक सभा में शामिल होने के लिए गया। ऊधम सिंह ने एक मोटी किताब के पन्नों को रिवाल्वर के आकार में काटा और उनमें रिवाल्वर छिपाकर हाल के भीतर घुसने में कामयाब हो गए। सभा के अंत में मोर्चा संभालकर उन्होंने ओडवायर को निशाना बनाकर गोलियां दागनी शुरू कर दीं।
सावन बरसे भादों बरसे
ठंडी पड़ती बौछार लाई
सावन बरसे भादों बरसे
प्यार की संग फुहार लाई
आज बस इतना ही...
धन्यवाद।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसावन बरसे भादों बरसे
ठंडी पड़ती बौछार लाई
सावन बरसे भादों बरसे
प्यार की संग फुहार लाई
उत्तम चयन
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंदरिंदों की अगर सत्ता रहेगी
शहर होगा मगर शमशान होगा
सुन्दर
प्रस्तुति
बहुत सुन्दर लिंक्स...आभार
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति कुलदीप जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआप का बहुत बहुत आभार |
जवाब देंहटाएं