अभिवादन स्वीकार करें
आरम्भ रमेश जी की लिखी एक हाईकू के साथ
विष की वर्षा
अब रसना पर
बसी मन्थरा
...
अब शुरु होता है नयी-जूनी रचनाओं का सिलसिला..
सुख की मंगल कामना....शशि पुरवार
चाहे कितने दूर हो, फिर भी दिल से पास
राखी पर रहती सदा, भ्रात मिलन की आस
प्रेम डोर अनमोल ये, जलें ख़ुशी के दीप
माता के आँचल पली, बेटी बनकर सीप
अंतर्मन के शब्द.... मुकेश सिन्हा
हाँ, नहीं लिख पाता कवितायें,
हाँ नहीं व्यक्त कर पाता अपनी भावनाएं
शायद अंतस के भाव ही मर गए या हो चुके सुसुप्त!
या फिर शब्दों की डिक्शनरी चिंदी चिंदी हो कर
उड़ गयी आसमान में !!
ज़िन्दगी से बात... रेवा
बहुत दिनों बाद
तुमसे मुलाकात हुई
ऐसा लगा
मानो
ज़िन्दगी से बात हुई ,
पिघलते क़तरों में..........अनामिका घटक
नालिश जो थी तेरे लिए तेरे ही खातिर
बयाँ न हो पाया वो अहसास गुज़र गया -
दरों दीवार जो दो दिलों का था आशियाना
मजार-ए-इश्क़ आज वहीँ पे दफ़न है ॥
दिल में खंज़र न चुभाना की तेरा नाम भी है... सिद्धार्थ सारथी
अब तो बातें न बना और हमें इतना बता
सिर्फ साकी है यहाँ पर या कोई ज़ाम भी है
वक़्त बेवक़्त मुझे यूँ ही बुलाया न करो
सारथी के तो बहुत से यहाँ निज़ाम भी है
लोग मिलते है यहाँ पत्थर के ..... कंचनप्रिया
लब सिल जायें तब भी क्या हो
लफ़्ज़ जाहिर हो तब भी क्या हो
कोई नहीं आता सँवारने ज़िंदगी बंजर से
लोग मिलते हैं यहाँ पत्थर के
अन्तिम पड़ाव..एक साल पहले
‘उलूक’ को ना बाजार..डॉ. सुशील जोशी
समझ में आता है
ना उसका गिरना गिराना
रोज की आदत है उसकी
बस चीखना चिल्लाना
हो सके तो उसकी कुण्डली
कहीं से निकलवा कर
उसके जैसे सारे उल्लुओं को
इसी बात पर साधने का
सरकारी कोई आदेश
कहीं से निकाल दो ।
....
इज़ाज़त दें दिग्विजय को..
सादर
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंजन्माष्टमी की बहुत बहुत बधाई
बहुत अच्छी लिंको का चयन
सादर
हलचल परिवार एवं सभी सुधिजनो को को श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति।
सुन्दर हलचल प्रस्तुति दिग्विजय जी। कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं। आभार 'उलूक'के सूत्र को स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति सर और मेरी रचना को चुनने के लिए आभार। .....
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति सर और मेरी रचना को चुनने के लिए आभार। .....
जवाब देंहटाएंhardik dhnyavad sundar links , hamen shamil karne hetu abhar
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