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मंगलवार, 1 मार्च 2016

228...मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे


जय मां हाटेशवरी...

पुनः स्वागत है आप का...
पेश है....
कुछ नये पुराने लिंक....
सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान  रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे





















समीक्षा “महाभारत जारी है” ( समीक्षक-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' )
जब तक तड़प है
प्यार जिन्दा है
जब पा लिया
प्यार मुरझा गया
वासना में डूबकर
पाने की फिक्र क्यों है
तड़प का मजा लो
यही तड़प तो नाम है
प्यार का”







जानिए महाभारत को
महाभारत का सबसे बड़ा संदेश है कर्म
महाभारत कई मायनों में धर्म प्रधान होते हुए भी कर्म प्रधान ही है।
स्वयं श्रीकृष्ण भी कर्म की प्रधानता अर्जुन को गीता उपदेश
के समय समझाते हुए कहते है कि कर्म करो फल की चिंता मत करो।
अर्जुन युद्ध के मैदान में जब अपने ही परिजनों को समक्ष देखकर घबरा जाते हैं

















आत्मानुभूति का भाव बनाता है श्रेष्ठ--शान्ति गर्ग
साहित्य हमारी राष्ट्रीय संस्कृति की अनुपम निधि है जो नई पीढ़ी को धर्म, दर्शन, संस्कृति, शिक्षा, समाज और राष्ट्र निर्माण स्फूर्तिदाई संदेश देते हैँ। निडरता
व साहसिक कार्योँ की ओर उन्मुख करते हैँ। स्वामी विवेकानन्द कहते थे कि आत्मसंघर्ष से साधारण परिस्थितियोँ मेँ असाधारण परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैँ। मानव
सभ्यता और भारतवर्ष का भविष्य युवाशक्ति और उसके विवेक सम्मत व्यवहार व सम्यक लक्ष्य पर निर्भर है।
















लंबरदार हो गए हैं -उदय वीर सिंह 
जख्म जिंदा हैं सितम के तन पर दाग बनकर,
दागदार बन गए हैं
जिनको जाति - धर्म फिरके ,ही प्यारे थे
खुद्दार बन गए हैं-
जो वफादार थे फिरंगियों के, देश गौड़ था
वफादार हो गए हैं -
















कहानियों के मन से...विजय कुमार सप्पत्ति
लघुकथा : दंगा
पुलिस ने लाठीचार्ज किया, सबको अलग किया तो देखा, फ़क़ीर बाबा, इस छोटे से दंगे में फंसकर मर चुके थे. सारे लोगो में सन्नाटा छा गया. उसी वक़्त शहर में ये तय हुआ कि कोई भी दंगा नहीं होंगा. उस  दिन से शहर में शान्ति छा गयी.  फिर कभी उस छोटे शहर में दंगा नहीं हुआ.







आप कहते हैं हमसे ग़ज़ल छेड़िए--प्रसन्नवदन चतुर्वेदी
हर्फ़ अश्कों के हैं सुर मेरी आह के,
आप कैसे सुनेंगे इन्हें चाह से,
रो पड़ा गाते-गाते आप क्या जाने क्यों,
आप तो तालियाँ बस बजाते रहे.....




















हूँ मैं वाहिद यहाँ, दूसरा कौन है--गंगा धर शर्मा
देखिये ये सियासत की जादूगरी.
कर रहा कौन है , झेलता कौन है.
गोर में सो रहा हूँ बड़ा फ़ैल कर
हूँ मैं वाहिद यहाँ ,दूसरा कौन है
देख  हिन्दोस्तान आप ही से कहे
है सभी तो मेरे अलहदा  कौन है


अब चलते-चलते ये भी पढ़ें...

अमीर लोग अपने बच्चों को पैसों के बारे में क्या शिक्षा देते हैं जो कि गरीब लोग नहीं दे पाते

मुझे आज्ञा दें...
फिर मिलते हैं...
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो


कुलदीप जी के शहर में बारिश हो रही है
बिजली व नेट बंद है...रचनाओं का चयन उन्होने कर लिया था
संचार व्यवस्था के चलते उनका फोन से संदेशा मिला
सो..उनकी इस प्रस्तुति की प्रकाशन की सूचना मेरे द्वारा दी गई है
सादर
यशोदा

5 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    लिंक तो सभी बेहतरीन
    और है भी ताजा-तरीन
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभप्रभात दीदी...
      आभार आप का....
      अभी अभी नैट चल पाया है...
      पुनः आभार।

      हटाएं
  2. हर परिस्थिति में हलचल प्रस्तुत कर देते हैं आप लोग ..जज्बे को सलाम ...सार्थक हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं

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