दीदी क्षमा कर दीजिएगा
चलिए चलते हैं.....
और ये है आज की शीर्षक रचना का अंश
नयी उड़ान में....उपासना सियाग
चमकते सितारों से
नज़र आते हैं बुझी राख से ....
खो गए हैं अब
वो स्वप्निल से पल !
आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलते हैं..
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
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शुभ प्रभात छोटी बहना
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगता है जब आपको अपने लिखे को पसंद करते देखती हूँ
आभारी हूँ _/\_
महा शिवरात्रि की शुभ कामनाएँ...
हटाएंलो फिर आया
ॠतुराज बसंत
मस्त तरंग ।
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर अति सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभ कामनाएँ...