रविवार का दिन है तो अब पेश है.............मेरी पसंद के कुछ लिंक :))
कहती है मोम यूँ ही पिघलना फ़िज़ूल है
महलों में इस चिराग का जलना फ़िज़ूल है!
खुशबू नहीं तो रंग अदाएं ही ख़ास हों
कुछ भी नहीं तो फूल का खिलना फ़िज़ूल है !1
स्वप्न मेरे ब्लॉग पर ....................... दिगंबर नासवा :)
इतना गहरा होता
घाव प्रगाढ़ कर जाता
घावों से रिसाव जब होता
अपशब्द कर्णभेदी हो जाते
मन मस्तिष्क पर
बादल से मडराते
आकांक्षा ब्लॉग पर ........................आशा सक्सेना :)
सवाल ये नहीं कि
क्यों मंज़ूर कर लेती है
वो घुट घुट के जीना
फिर भी बंधे रहना
उसी बंधन से ताउम्र
जिससे बुझ रही है
आहिस्ता आहिस्ता
चाँद की सहेली ब्लॉग पर .............VenuS "ज़ोया"
मन की बात
कौन कह पाता है
वही जिसने मन को गहरे तक पहचाना हो
क्योंकि मन बड़ा चंचल होता है
और मन की बात कहते कहते भूल जाता है
अनुभूतियों का आकाश ब्लॉग पर .............कुशवंश
और पेश उनकी पहली रचना
मेरी फरियादों मे तेरी यादों मे,
अक्स तेरा जो दिखा तो आंख भर आई।
दिल की तन्हाई मे तेरी रूसवाई मे,
अक्स तेरा जो दिखा तो आंख भर आई।
आँख भर आई ब्लॉग पर .................. वी राज वर्मा :)
-- संजय भास्कर
वाह...
जवाब देंहटाएंगज़ब
वाह शानदार लिंक्स संयोजन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंमिलते रहे तो प्यार भी हो जाएगा...
जवाब देंहटाएंये सत्य है...
सत्य आप भी जान गये भाई संजय जी...
पर क्या करें...
आप कहीं दूर चले जाते हैं...
पांच लिंकों का आनंद से....
आभार आप का....
बढ़िया ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक्स संयोजन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार
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