अब पेश है...........मेरी पसंद के कुछ लिंक :))
अपने घरौंदे को बचाने के लिए
खुद को खरीदा है खुद से कई बार
घरौंदा तो खैर बचा लिया मैंने
पर कीमत कुछ ना मिली हर बार
चाँद की सहेली ब्लॉग पर ...........VenuS "ज़ोया"
समय को वहीं रोकना चाहता हूँ
में बचपन में फिर लौटना चाहता हूँ
में दीपक हूँ मुझको खुले में ही रखना
में तूफ़ान से जूझना चाहता हूँ !
स्वप्न मेरे ब्लॉग पर ................ दिगंबर नासवा
मेरे सिरहाने वाली खिड़की
तब से मैने ख़ुली ही रख़ी है
क्योंकि उसके ठीक सामने
चाँद आकर रुकता है
एक छोटे तारे के साथ
मेरी स्याही के रंग ब्लॉग पर ...... मधुलिका पटेल
झूठ भी तो एक कविता है
शब्दों की बेमानियाँ...बेईमानियाँ भी | लफ़्फ़ाजियाँ...जुमलेबाजियाँ...
और इन सबके बीच बैठा निरीह सा सच | तुम्हारा भी...मेरा भी |
तुम्हारे झूठ पर सच का लबादा
तुम्हारे मौन में भी शोर की सरगोशियाँ
पाल ले इक रोग नादां ब्लॉग पर ........ गौतम राजरिशी
सुबहों का समय
अखबार के पन्नों का
खुल जाना.......
वो खुशबू भाप की
उठती हुई
चाय के प्यालों से……
पराठों की वो प्लेटें
सब्जियाँ सूखी - करीवाली ,
करारे से पकौड़े
और भागम- भाग
मृदुलास ब्लॉग पर ........... मृदुला प्रधान
सुबह ,
बड़े तड़के उठकर
एक गोली खाली पेट खाकर भागती
स्नान ध्यान , पूजा-पाठ,
नास्ता बनाने की हड़बड़ी
और फिर खाने की तैयारी
छोटे बच्चों की परवरिश से निब्रत होकर भी
दिनचर्या नहीं बदल पायी उसकी
अनुभूतियों का आकाश ब्लॉग पर ...........कुशवंश
इसी के साथ ही मुझे इजाजत दीजिए अलविदा शुभकामनाएं फिर मिलेंगे अगले गुरुवार
-- संजय भास्कर
Suprabhat
जवाब देंहटाएंbahut badhiya link hetu dhanyavad..
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंएक तूफान का सामना किया आपने
सादर
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुभप्रभात...
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन...
आप की प्रस्तुति की सब को प्रतीक्षा रहती है...
सभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक ।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएँ एक से बढ़ कर एक ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंहमेशा जलजला से दूर रहो
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सभी रचनाएँ मेरी रचना को स्थान देने पर तहे दिल से शुक्रिया.
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