आनंद का ये सफर...
आज 256 अंक पूरे कर चुका है...
सफर तो चलता रहेगा...
कदम थक गए है दूर निकलना छोड़ दिया,
पर ऐसा नहीं की मैंने चलना छोड़ दिया.......
फासले अक्सर मोहब्बत बढ़ा देते है,
पर ऐसा नहीं की मैंने मिलना छोड़ दिया.........
मैंने चिरागों से रोशन की है अक्सर अपनी शाम,
पर ऐसा नहीं की मैंने दिल को जलाना छोड़ दिया .......
मैं आज भी अकेला हूँ दुनिया की भीड़ में,
पर ऐसा नहीं है की मैंने ज़माना छोड़ दिया......!!!
अब देखिये...
तुम मिरे साथ जो होते तो बहारें होतीं.........सीमा गुप्ता "दानी"
मैं तुझे दिल में बुरा कहना अगर चाहूँ भी,
लफ़्ज़ होंठों पे चले आएँगे दुआ बनकर।
मैं किसी शाख़ पे करती हूँ नशेमन तामीर,
तुम भी गुलशन में रहो ख़ुश्बु-ओ-सबा बनकर।
ये दुनिया (ग़ज़ल)
माना कि तेरा दिल पाक साफ है
सफ़ेद चादर पर दाग लगाती है ये दुनिया
अपनी मुसीबतों से खुद ही लड़ेगा तू
सिर्फ अपनी राह के कांटे हटाती है ये दुनिया
कतरा कतरा मर जायेगा यहाँ पर
सिर्फ शमशान तक पहुंचाती है ये दुनिया
तुम क्यूं भूले
वह तो है शक्ति तुम्हारी
उसे यदि साथ ले जाते
अधिक ही सफलता पाते
फिर भी वह साथ रही सदा
तुम्हारी छाया की तरह
आज भी अधूरे हो राधा बिना
कहलाते हो राधा रमण
ग़ज़ल "माँग छोटे आशियानों की" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
विदेशी बैंक में जाकर, छिपाया देश के धन को
खुलेगी पोल-पट्टी अब, शरीफों के घरानों की
सियासी गिरगिटों के “रूप” की, पहचान करने को
निकल आयीं सड़क पर टोलियाँ, अब नौजवानों की
व्यावहारिक हिंदी
इन सबके बावजूद भी हिंदी में कई ऐसे व्यावहारिक पद समा गए हैं जो अक्सर सुनने में आते हैं. कभी कभी लेखन में भी दीख पड़ते हैं. पर वे व्याकरण व सटीकता की दृष्टि
में खरे नहीं उतरते.
उदाहरण के तौर पर बहुत ही प्रचलित वाकया लीजिए... रेलगाड़ी में सफर करते वक्त कोई सहयात्री पूछ ही लेता है - भाई साहब फलाँ स्टेशन कब आएगा ? पूछने वाला शख्स
व जवाब देने वाला दोनों जानते हैं कि सवाल व्याकरण की दृष्टि से व्यवहारिक सही नहीं है. लेकिन जवाब दिया जाता है कि भाई जी फलाँ बजे के लगभग आएगा. रेल चल रही
ख्वाब
सपने सच बोलते वहाँ ज़ोर कहाँ चलता किसी का। कल आई थी चुप-चाप थी गुमसुम थी उलझी थी बिखरी थी लटें। ज़ुल्फों को उँगलियों से कंघा भी किया उसने देखकर मुस्कुराया।
बोला नहीं सुना है सपनों में बोला नहीं करते शोर से टूट जाता बहुत कुछ। कुछ पल के लिए ठहर गया था समा।
बस समझो मज़ा आ गया था।
धन्यवाद।
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंपांच लिंक्स का आनंद ही कुछ और है|
मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
वाह...
जवाब देंहटाएंशानदार संयोजन
साधुवाद
बढ़िया 256वाँ अंक ।
जवाब देंहटाएंहलचल :
Global 318,734
Alexa Traffic Rank
India Flag 42,645
Traffic Rank in IN
चर्चामंच:
Global 323,154
Alexa Traffic Rank
India Flag 41,453
Traffic Rank in IN
ब्लागबुलेटिन:
Global 252,291
Alexa Traffic Rank
India Flag 29,582
Traffic Rank in IN
आभारी हूँ सुशील भाई
हटाएंसादर
Aaj ki link bahut sunder
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएं