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सोमवार, 29 मई 2017

682....ओ ! 'राही' तूं ,सुन ले !

ओ ! 'राही'
तूं सुन ले ! रे 
'एहसास' हृदय के 
चुन ले ! रे 
'नज़दीक' ही हैं 
वे स्वप्न तुम्हारे 
व्यर्थ 'माज़रा' 
'आत्मभ्रमण'  का 
देख ! तनिक 
अंतर्मन में, 

सादर अभिवादन 
आपसभी आदरणीय, पाठकों का 
 शब्दों की दुनियां भी अजीब है
हमारे कोमल हृदय को अपने शब्दों की जालिका में उलझाती ! 
सुख-दुःख रुपी पोत पर ब्रह्माण्ड की सैर कराती !
ख़ैर हम आज की रचनाओं की ओर 
अपने आवारा  मन को ले चलतें हैं  

 "नज़दीकियाँ" ........ 
आदरणीय 'रवींद्र सिंह यादव जी' जिनकी लेखनी कौशल का मैं मुरीद हूँ 


ये     घड़ी     रुकी     रहे
रात    जाए   अब   ठहर,
दीवानगी  का ये  ख़याल
बेताबियों  को  भा  गया।
देखने   चकोर  चाँद  को
  नदी  के  तीर   आ  गया।

"खामोशियाँ"..... 
आदरणीय,राकेश जी "राही" जो लेखक होने से बेहतर एक 'अच्छा पाठक' होने में विश्ववास रखते हैं ,
जो इनकी साहित्य के प्रति समर्पण की भावना को दर्शाती है। हम इनका सम्मान करते हैं
  

बड़ी उम्मीद ले कर तेरे दर पर आया हूँ,
नाउम्मीद का ख्याल भी, बेचैन करती है।   


"एहसास"....... 
आदरणीय, "ऋतु आसूजा" जी जिनकी रचना बताती है जीवन के सच्चे 'एहसास'


    एहसास की रूह से आह निकली
बस करो एहसासों से खेलने का
     शौंक ना पालों ।

   "आत्म भ्रमण"...... 
आदरणीय, "शुभा जी" भ्रमर रूपी मन की व्याख्या करतीं हैं 


 कब से खोज रही थी 
जिस निर्मल प्रेम को
देखा तो दुबका बैठा था 
इक कोने में 
जगाया , झकझोर के उठाया 

   "ये क्या है माज़रा"..... 
आदरणीय, "मीना गुलयानी" द्वारा रचित ये रचना जीवन से हजारों प्रश्न करती है



   जिंदगी तो मेरी इक लम्बी सुरंग है
जहाँ पे खड़ा हूँ मै वहीँ कोई सिरा



"पाँच लिंकों का आनंद'' परिवार के नवीन सदस्य के रूप में यह मेरी पहली प्रस्तुति है,
समस्त आदरणीय पाठक एवं लेखकगणों के सहयोग का आकांक्षी 
आज्ञा दीजिए 
धन्यवाद।  

"एकलव्य" 




  


10 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर लिंक संयोजन एकलव्य जी की भावाभियक्ति के साथ। इस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई। मेरी रचना आज के अंक में शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह्ह्ह...सुंदर बहुत रचनाएँ बहुत सुंदर लिंकों का चयन
    ध्रुव जी।हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

    जवाब देंहटाएं
  3. शुभ प्रभात भाई
    अच्छा चयन
    साधुवाद
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय , यशोदा दीदी एवं "पाँच लिंकों का आनंद" परिवार के सभी सदस्यों का हृदय से आभार प्रकट करता हूँ, जिनके अमूल्य सहयोग से आज की प्रस्तुति करने में ,मैं सक्षम हो सका। सभी पाठकों एवं रचनाकारों को मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनायें, आभार। "एकलव्य"

      हटाएं
  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ध्रुव जी ।

    जवाब देंहटाएं
  5. नए कलेवर के साथ "पाँच लिंकों का आनंद" की 682 वां अंक बहुत ही अच्छा लगा। चर्चाकार के रूप में ध्रुव भाई को इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. शुभप्रभात....
    सुंदर....
    पहली प्रस्तुति पर आप को शुभकामनाएं....
    आभार आप का।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सूंदर प्रस्तुति आज का पांच लिंको का आनन्द
    सभी रचनायें और रचनाकार स्वयं में श्रेष्ट हैं

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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