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रविवार, 25 अगस्त 2024

4227 ...ताज्जुब की बात तुझ पर मैने कभी कुछ नहीं लिखा

 नमस्कार



जय श्री राधे
कल जन्माष्टमी है
सीधे चलें रचनाओं की ओर





सारे पत्थर ‘मैं’ और ‘तू’ के
चूर चूर हो बह जाएँगे,
छलक-छलक कर जल के धारे
रस में हमें भिगो जाएँगे






कुछ देर के बाद साँप आहिस्ता आहिस्ता कुवे के ऊपर आ कर चबूतरे पर लेट गया। तभी एक बाज़ ने आ कर साँप को दबोच लिया। पहचान साँप मुझे मैं वही बाज़ हूँ जिसके बच्चे तूने पिछले साल खा लिये थे और जब तुझे पकड़ कर ले जा रहा था तब तू मेरे पंजे से छूट कर कुवे मे जा गिरा था।

तब से मैं रोज़ तेरी हरकत पर नज़र रखता था। आज तू सारे मेंढक खा कर काफी मोटा हो गया। मेरे फिर से बच्चे बड़े हो रहे है वह तुझे ज़िंदा नोच नोच कर अपने भाई बहनों का बदला लेंगे। फिर बाज़ साँप को लेकर उड़ गया अपने घोसले की तरफ।






तुम्हें सुकून की नींद मिले,उन ख्वाबों के बागों में,
तुम उनमें पंछी-सा सैर करना,ओ! मेरी बहना।

सुबह जल्दी  आँखें  मिचते उठ जाना,  
जब पंछी  विचरने लगे आंगन में,

एक पंछी आयेगी बुलाने झरोखे पे,
तुम साथ चले जाना, ओ! मेरी बहना।





इस पर लिखा
उस पर लिखा
ताज्जुब की बात
तुझ पर मैने कभी
कुछ नहीं लिखा
कोई बात नहीं
आज जो कुछ
देख कर आया हूँ
उसे अभी तक
यहाँ लिख कर
नहीं बताया हूँ


आज बस
सादर वंदन

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात ! इतवार की सुबह का आनंद सराहनीय रचनाओं के संग, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. आभार एवं धन्यवाद, महाशय!
    छोटी प्रस्तुति पर बेहतरीन।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी रचनाओं का संकलन

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार रचनाओं का संकलन।
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं

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