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रविवार, 11 अगस्त 2024

4214..अच्छा आदमी सच्चा होने का लाइसेंस निकाल के दिखायेगा

 नमस्कार

इस माह का मुख्य उत्सव
बस चार दिन बाद
सीधे चलें रचनाओं की ओर




ठिक्के कह रहे हैं आप ! ई सब यदि एतना ही सहज होता तो कोई भी, जब भी चाहता अपनी जाति बदल लिए होता! तब तो बहुते भसान मच जाता ! पर भईया जी, अपने देश में अइसे बहुते लोग हैं जो सालों से अपना नाम-उपनाम बदल कर मजे से जीवन बिता रहे हैं ! केतना लोग पकड़ा भी गया है ! तिस पर ई भी तो सच्चे है कि रसूखवाला, पइसावाला, ताकतवाला लोग ही ज्यादा गलत काम करता है ! हमको भी हमारे पिताजी मना किए थे ई सब करने से! बोले थे, बिटवा किसी लालच में आ कर अंधे कूऐं में झलांग मत लगाना ! भगवान जो दिया है, उसमें खुश रहो ! मेहनत करते रहो, उसी से सफलता मिलेगी ! देक्खे रहे हो केतना गरीब-गुरबा का बच्चा लोग अपना मेहनत से कहां का कहां पहुंच गया ! बस, मेहनत से जी मत चुराना !''




बाबुल चाहे सुदामा हो
ससुराल चाहे सुहाना हो
नया रिश्ता जोड़ने पर
अपना घर छोड़ने पर
दुल्हन जो होती है
दो आँसू तो रोती है





है मगर ये सिक्त
सोंधी सुगंध से,
स्निग्ध स्वरूप में।

अंग-अंग रसीला,
बिल्कुल तुम-सा
कोआ कटहल का।





केले के उन हरे सघन पत्तों पर
अनवरत बरसती बूंदों का राग है
हर बरस इस मौसम में बस एक ही बात सोचती हूं
क्या कोई होगा जो मेरी तरह यूं ही
बारिश को महसूस करता होगा...




जनता सुखी होगी उन्नति करेगी
डर सबका भाग जायेगा

मुसीबत आ भी गई कभी सामने तो
अच्छा आदमी सच्चा होने का
लाइसेंस निकाल के दिखायेगा ।


आज  बस
सादर

4 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! .. सुप्रभातम् सह सादर नमन संग आभार आपका .. हमारी बतकही को अपने मंच की इस सतरंगी प्रस्तुति संग प्रस्तुत करने के लिए .. बस यूँ ही ...
    आपकी भूमिका में चार दिनों बाद वाले उत्सव की चर्चा अच्छी बात है , पर .. क्या वास्तव में ये उत्सव या त्योहार .. उस बंटवारे की चीत्कार को नज़रअंदाज़ करके मनाने की अनुमति देता है .. जिसकी गूँज-अनुगूँज .. आज भी बांग्लादेश में सुनी जा रही है .. शायद ...

    जवाब देंहटाएं
  2. मिश्रित रचनाएँ। एक बढिया प्रयास।

    जवाब देंहटाएं

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