कभी कभी वे अँग्रेजी के शब्द ' एंकर' सरीखे भी थे
मगर जीवन के सभी तूफानों में
वे बंधे रह गए अपनी जगह
जीवन द्वारा जब भी किसी निर्जन द्वीप पर
अकेला पटका गया मैं
तब याद आई पिता की अँग्रेजी वाली भूमिका
जिसे याद कर हिंदी में लिखी मैंने कविता।
पुरस्कार, सम्मान लेने के लिए स्वयं प्रबंध करना होता है। “ - समझाने की गरज से कवि उत्थानक बोले - “ जैसे आपको अखिल भारतीय कवि शिरोमणि का पुरस्कार लेना हो तो सारी व्यवस्था हमारी होगी। “
हतप्रभ आहत सुन रहे थे।
“ आपको अंगवस्त्रम के साथ एक लाख का चेक भेंट किया जाएगा, जो वस्तुतः आपका ही होगा। “ - ठठाकर हँसते हुए उत्थानक बोले - “ वह बाद में आप हमें वापस देंगे। व्यवस्था का सारा खर्च और मेरा कमीशन उसी में से तो होगा। “
सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंसुंदर अग्रलेख
आभार
सादर
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार श्वेता जी सादर
आपका बहुत शुक्रिया मेरी रचना को यहां स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंज़माने की सियासत और बेटी का दर्द, वाकई बेहतरीन रचना है। अन्य रचनाएँ भी सार्थक है।
जवाब देंहटाएंसभी को शुभकामनाएँ।
बहुत सुंदर अंक
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