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बुधवार, 26 जुलाई 2023

3830..तेरा पता मिला है...

।।प्रातः वंदन।।

 सूरज की- 

एक किरण पीपल के पत्ते पर ठहरी है !

एक किरण बेले के फूलों पर फिसली है !

एक किरण ताल की तरंगों पर थिरकी है !

एक किरण शिशु की दाँतुलियों पर बिहँसी है..!!

त्रिलोचन 

चलिए नियत समयानुसार आज की प्रस्तुति में..✍️

पुरनम सी यह हवा


तेरा पता मिला है औरों से क्या मिलें

पहुँचेंगे तेरे दर अरमान ये खिलें


तुझे छू के आ रही पुरनम सी यह हवा

सब को मेरी दुआ से मिलने लगी शफा..


चंद क्षणिकाएँ

 



•प्रेम

ऐश्वर्य के पाँव में पड़े

छालों का नाम है


•नदियाँ धरा का सौंदर्य हैं

और पड़ाड़ो तक पहुँचने का

सुगम मार्ग

  खेल तू बस खेल 

हार भी जीत होगी 

जब तुम तन्मयता से खेलोगे 

खेल में खेल रहे हैं सब 

खेल - खेल में खूब तमाशा 

छूमंतर हुई निराशा 



सम्मोहन /अनीता सैनी 'दीप्ति'

जब कभी भी मैं 

कल्पना के एक छोर को 

अफलातून की

कल्पना शक्ति से बाँधती हूँ..

.उड़ान


लड़कियों,

जितना आसमान तुम्हें दिखता है,

आसमान उतना ही नहीं है,

जितना दूर तुम्हें दिखता है,

उतना दूर भी नहीं है। 

।। इति शम।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️


7 टिप्‍पणियां:

  1. अप्रतिम
    स्तरीय रचनाओं से सजा
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! कल्पना में प्रेम की उड़ान भरता मस्ती में खेलता जीवन , कुछ ऐसा ही समाँ बांधा है आपने पम्मी जी आज के अंक में, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर संकलन आभार मेरे द्वारा सृजित रचना को पांच लोकों के आनन्द में सम्मिलित करने हेतु

    जवाब देंहटाएं
  4. हार्दिक आभार मंच पर स्थान देने हेतु।
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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