सादर अभिवादन
सावन का महीना
ऐसा एक मिलन था अद्भुत ...
ऐसा एक मिलन था अद्भुत
कविता में जो व्यक्त हुआ है ,
सभी दिलों में जो अंकित है
बड़े प्रेम से खुदा हुआ है !
इसी तरह का प्यार सदा ही
सबके मन में बसा रहेगा
पापा-माँ की मिलें दुआएं
जीवन सुंदर सदा रहेगा !!
जिन्दगी के रंग कई ....
बनो स्त्रियों रणचंडी बनोकाली खप्पर वाली बनोमहिषासुर मर्दिनी बनोकिन्तु चुप मत रहोसमय की प्रचंड पुकार हैधरा पर मचा हाहाकार है
चाहे तुम चांद पर पहुंच जाओ या छू लो सूरज चाहे कविताएं लिख लो या स्वयं को विद्वान कह लो रहोगे तो तुम वहशी दरिंदे
आज बस इतना ही
मिलते हैं न फिर
मिलते हैं न फिर
शर्म भी शर्म से पानी पानी हो गई! ..
जवाब देंहटाएंमें
क्या तस्वीर लगाना उचित है?
ज्योति बहन से पूछी हूं
हटाएंसादर वंदे
ज्योति, तुम्हारे आलेख में हम सब जागरूक भारतीयों की पीड़ा की अभिव्यक्ति है.
जवाब देंहटाएंलेकिन आगे से भूल कर भी तुम ऐसी आपत्तिजनक फ़ोटो पोस्ट मत करना.
ज़मीन का झगड़ा ही तो था जिसने महाभारत करवा दिया था, मानव के लोभ की आग में निर्दोष महिलाएँ मारी जा रही हैं, सरकार को इस समस्या का शीघ्रातिशीघ्र हाल निकालना चाहिए। आभार!
जवाब देंहटाएंयशोदा दी, आपकी टिप्पणी स्पैम में ऐसी गई कि मैं देख ही नहीं पाई थी। आज दिखी तब पता चला कि आपने मेरी पोस्ट का लिंक शेयर किया है। बहुत बहुत धन्यवाद दी।
जवाब देंहटाएंतस्वीर एकदम ब्लर थी। हर जगह शेयर की हुई थी इसलिए मैं में भी कर दी थी।