सादर नमस्कार ..बोर हो गया मैंअपनी देवी जी सेकभी शिव मंदिरकभी बजरंग मंदिरतो कभी गणेश मंदिरये सावन भी नाडबल क्यों आता हैखैर खुश रखना है तोसहना भी होगारचनाएं देखिए ....
आग उगलते शब्द स्वयं के
दूजे के लगते अंगार।
आह कराह दिखे बस संगी
निर्मल जल भी लगता खार।
है खटास की नदी बह रही
बीच भंवर में डोले नाव,
ऊपर से आती लहरों का
अपनी धुन पर अपना नर्तन॥
शानदार
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बढ़िया लिंक्स की सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुनहरी हलचल … अच्छे लिंक्स … आभार मुझे शामिल करने के लिये …
जवाब देंहटाएंकई रचनाएं पढ़ आई
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय रचनाओं तक पहुंचने के लिए आपका बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार। सभी रचनाकारों के लिए हार्दिक शुभकामनाएं🌹🌹👏👏
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति,सभी रचनाएं उत्तम , रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसुंदर अंक, अच्छी रचनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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