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रविवार, 30 जुलाई 2023

3834 ..शहरों में नदियों का प्रवेश नागवार है मानव को

 सादर अभिवादन

श्रावण मास की विदाई चालू आहे
बस यादों को संजो कर रखिए
रचनाएं ....

स्मृति क्या है?
बीते हुए कल के शोर की प्रतिध्वनि
शोर क्यों स्वर क्यों नहीं?


नदियां इन दिनों
झेल रही हैं
ताने
और
उलाहने।
शहरों में नदियों का प्रवेश
नागवार है
मानव को
क्योंकि वह
नहीं चाहता अपने जीवन में 


बढ़ती जाये ज्यों आबादी,
घटते कारोबार हैं,
तुष्टिकरण के आज सामने,
सरकारें लाचार हैं,
पास नहीं इक रोजगार है,
बच्चों की पर फौज सी,
आज़ादी के सात दशक यूँ,
कर दीन्हे बेकार हैं।


युद्धों का जन्म ऐसे ही होता है
सिकुड़ी संकुचित चेतना का परिणाम है क्रोध !
जब फैल जाता है मन का कैनवास
जिसमें समा जाते हैं धरती और आकाश


उसने दूरी बनायी
और दिल सबसे दूर हो गया
वो लोग हैं
जो मेरे बिना अकेले से थे
उनसे दूर
किसी के चले जाने का ग़म सींच रही थी


पहुँच है तो
एक मार्ग के साथ
और एक ही भाषा
होती ही नही मार्ग की
मौन होते हैं कई
बोलिया भी है कई
और अंततः
यही होता है
ज्ञान...

आज बस इतना ही
सादर

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