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शनिवार, 7 जुलाई 2018

1086... जयहिन्द



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होंगी तुम्हारे पास ज़माने भर की डिग्रियां पर,
किसी की छलकती आँखों को न पढ़ सको तो हो तुम
अनपढ़-गवार
घर में माँ-बेटा दो ही तो जीव थे।
बेटा भी ऐसा कि कलियुग में लोगों को श्रवण की कथा
याद आ जाए पर यह आज उसको क्या हुआ?

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हमें अनुभवानुभूति होने के बाद ही पता चलता है
विश्वास और विश्वासघात के बीच बस बारीक रेखा ही तो है
 कब इस पार से उस पार हो जाये परिणाम का पता बाद में ही चलता है
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स्कूल की यादें खट्टी मीठी
याद हमे रह जाएगी,
यहाँ पड़ा जो किताबो में,
वो मंजिलो को पहुचायेगी,
अनपढ़
कोशिशों के बाबजूद हो जाती है कभी हार,
होके निराश मत बैठना मन को अपने मार,
बढ़ते रहना आगे सदा हो जैसा भी मौसम,
पा लेती है मंजिल चिटया भी गिर-2 कर हर बार,

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अनपढ़!
यूनिवर्सिटी के जाने माने प्रोफेसर बैठा दो अगर उसके पसीने ना छूट जाए तो कहना
अनपढ़ होते हुए भी उर्दू, हिंदी, इंग्लिश, फ्रांसीसी, लेटिन (letin), यूनानी (greek) आदि भाषाओं चलती फिरती डिक्शनरी है कासिम सैफ़ी
सहारनपुर के एक गरीब परिवार मे जन्मे कासिम सैफी के दादा इलाही काम घड़ी साज का था इसलिए वे भी घड़ी की मरम्मत करने का कार्य करते थे
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अनपढ़
जाँ बात-बात में हात मानीं
वै हैतीं कूनी ग्राम सभा…
जाँ सब कूनी और क्वे न सुणन
वै हैतीं कूनी लोक सभा!
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ना अनपढ़ रहे , ना काबिल हुए
खामखाँ ए जिंदगी , तेरे स्कूल में दाखिल हुए...!
अनपढ़ से लगते हो

हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम छब्बीसवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
'मेघ-मल्हार'
...उदाहरण...
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार, अली री !
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार

चमक-चम-चम बिजुरीया चमके,
छमक-छम-छम पानी की बौछार, अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार

कल-कल-कल-कल,संगीत नदी का,
सर-सर-सर-सर , करे आम की डार, अली री
घनन-घन-घन,मेघ गाये मल्हार

उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से 
पूरी कविता लिखने की आज़ादी है

आप अपनी रचना आज शनिवार 07 जुलाई 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं।
चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 09 जुलाई 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
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12 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी
    सादर नमन
    ज्वलंन्त मुद्दे वाली प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. पढ़ा लिखा होते हुऐ भी अनपढ़ और अनपढ़ होने के बावजूद पढ़ा लिखा। शोध का विषय है । बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  3. अद्भुत विषय संयोजन सादर आभार दीदी इतनी सुंदर प्रस्तुति के हर प्रस्तुति दुसरे की स्वयं व्याख्या कर रही है।
    पढे लिखे मूरख देखे अनपढिये मेघावी, एक पुरानी कहावत "अनभनिंयो(अनपढ़) मोती चुगे भनिंयो(पढा लिखा) मांगे भीख...
    बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी सामग्री अतुल्य संकलन कर्ता और लेखकों को साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह दीदी
    बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह्ह..दी हमेशा की तरह एक अनोखी व लाज़वाब रचनाओं का बेहद सुंदर संकलन..👌👌👌

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर संकलन..
    हमेशा की तरह अलग और बढिया।

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह!!बहुत सुंदर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  8. एक ही विषय पर इतनी अनोखी रचनाओं का संकलन आसान नहीं है। सादर धन्यवाद इस सुंदर प्रस्तुति के लिए।

    जवाब देंहटाएं

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