मुझे सोने से पहले मीलों दूर जाना है।
1-11-111 पार करते हम आ पहुँचे हैं
मेरे पास से गुज़र कर मेरा हाल तक न पूछा
मैं यह कैसे मान जाऊँ के वो दूर जा के रोया
निकले थे इस आस पे , किसी को बना लेंगे अपना
एक ख़्वाइश ने उम्र भर का बना दिया
मुसाफिर
शज़र को सींचते हैं खून पसीने से मगर
कुछ फल के लिए ,क्यों झगड़ जाते हैं मुसाफिर !!
सुना है दरख़्त पतझर में वीरान होता है
मगर अब पल भर में ,बिछड़ जाते हैं मुसाफिर !!
मुसाफिर
जब गुजरूँगा उस रास्ते से तो क्या मैं पहचान पाऊँगा उस रास्ते को।
आज मिल रही है हर रास्ते पर ठोकरे, है नहीं दूर दूर तक कोई संभालने वाला।
समझ में नहीं आ रहा कैसे संभालू अपने इन लड़खड़ाते हुए कदमो को।
कभी कभी अपने दिल को तसल्ली देने के लिए सोचता हूँ।
कैसा होगा वो एहसास जब मंजिल मिलेगी मुझे।

बटोही
यह बुरा है या कि अच्छा व्यर्थ दिन इस पर बिताना
अब असंभव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना
तू इसे अच्छा समझ यात्रा सरल इससे बनेगी
सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना
मुसाफिर
यूं तो मौसम कई ग़मगीन भी आये,
कई अश्क हमें पल – पल सताए !!
कुछ ने मुझको बाँधा, कुछ ने रोकना चाहा,
बंधिशो में अपनी, हमें तोड़ना भी चाहा !!

मुसाफिर
‘हमारी असली यात्रा उस दिन शुरु होती है
जिस दिन हमारा दुनिया की हर चीज से,
हर रिश्ते से, भगवान पर से विश्वास उठ जाता है और
यात्रा उस दिन खत्म होती है जिस दिन ये सारे विश्वास लौटकर हमें गले लगा लेते हैं। ...
भटकना मंजिल की पहली आहट है। कोई सही से भटक ही ले
तो भी बहुत कुछ पा जाता है। सच्ची आजादी का कुल मतलब अपनी मर्जी से भटकना है।’

अट्ठाइसवाँ अँक...
फिर मिलेंगे.....

आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
बेहतरीन प्रस्तुति
सादर
सादर चरणस्पर्श
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुति
सादर
सुंदर संकलन बेहतरीन रचनाएं
जवाब देंहटाएं1100वें अंंक की बधाई। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह! ११०० वीं प्रस्तुति का ख़ास अंदाज़ मन को हरषा गया. बधाई और आभार!!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संयोजन अनुभवों का बघार सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
1100 वें अंक की विशेष बधाई
जवाब देंहटाएं1100 वें अंक की सुंदर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
धन्यवाद।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
आदरणीय दीदी -- सादर प्रणाम | आज ग्यारहसौंवे अंक को देख पढ़ मन बहुत आह्लादित है | सभी चर्चाकार बधाई के पात्र हैं | आज की प्रस्तुती भी खास और शीर्षक भी खास |सभी लोग मुसाफिर हैं संसार के पथ पर यूँ तो पर इस सफर का आनन्द बड़ा ही सुहाना और रोमांचक है जब अप्रत्याशित ढंग से सब कुछ होता रहता है | सभी रचनाओं को पढ़ लिया है | आपके चयन को नमन और सभी रचनाकारों को भी हार्दिक शुभकामनाएं | मंच से जुड़ने वाले सभी सहयोगियों और पाठकों को बधाई आज के खास दिन के लिए | सादर आभार और नमन |
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं..!
जवाब देंहटाएंperfect story
जवाब देंहटाएंReally Informative And I Write This Success businessman Story in Hindi, Thanks
जवाब देंहटाएं