पूजन के बाद हम आचमन करते हैं, तो पंंडित जी तीन बार हमारी अंजली में पवित्र जल प्रदान करते हैं
अंक तीन रूप रंगीन
तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा = अशुभ मानना (अंधविश्वास)
शंंकर जी भोले बाबा का तिलक तीन रेखाओं में और त्रिशूल भी तीन शूलों से बना होता है।
हमारी उंगलियों की तरफ ध्यान से देखें तो प्रत्येक उंगली के पोर में तीन रेखाएं होती हैं।
प्रतियोगिता में भी प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेताओं को ही घोषित किया जाता है।
जल को भी तीन भागों में भी बांटा जाता है ठोस, द्रव और गैस।
समय को भी तीन कालों में बांटा गया है – वर्तमानकाल, भूतकाल और भविष्यकाल।
सिगनल भी तीन होते हैं – लाल, पीला और हरा।
घड़ी की सुईंया भी तीन होती हैं।
जब दौड़ शुरू की जाती है तो उसका प्रारम्भ्ा भी तीन गिन्ने के बाद शुरू होता है।
हमारे देश में या और अन्य देशों में भी सेनाओं को तीन भागों में बांटा गया है – जल सेना, थल सेना और वायु सेना।
नदियों का संगम भी तीन नदियों से ही होता है ।
मौसम भी तीन होते हैं – सर्दी, गर्मी और बरसात ।
आज भी हम स्नेह मिलन तीन बार करते हैं |
पूरे विश्व में त्रिगुनात्मक शक्ति सर्वोपरी मानी जाती है।
मानव जीवन में भी मुख्य तीन अवस्थायें होती हैं बाल्यकाल, यौवन अवस्था और वृद्धावस्था।
अब पाठकों की ओर चलें....
शुभकामनाएँ..... डॉ. इन्दिरा गुप्ता
शुभ कामना "पाँच लिंको का आनंद "
के तीन वर्ष पूर्ण होने पर
पाँच लिंक का आनंद अनूठा
पंचतंत्र की व्याख्या सा
पाँच लिंक का मंच है उत्कृष्ट
काव्य जगत मन भावन सा ! 🌺
पेच कई हैं...कैलाश नीहारिका
हर इक से मुँह मोड़ा होगा
कैसे सब कुछ छोड़ा होगा
भीतर क्या कुछ टूटा होगा
जाने क्या-क्या जोड़ा होगा
मार उसी के हिस्से आई
जिसने भंड़ा फोड़ा होगा
स्पंदन - विहीन !.....मीना शर्मा
ओ रंगीले भ्रमर !
कैसे स्वागत करती तुम्हारा ?
लाख कोशिशों से भी मुझे,
कुमुदिनी बनना न आ सका !
कंटकों के बीच जन्मी
कुसुम कलिका तो थी मैं,
वाचाल वसंत चंचल स्वच्छंद,
मैं निर्वाक निश्च्छल निष्पंद.
पथिक ज्ञान पय पीव पीये,
बस चतुर्मास संग जीव प्रिये.
किराएदार हूँ,.....पूनममोहन
बिताए इतने वक़्त,रहमते दरकार,
लगाए जो तोहमत आपने सरकार,
ये रहनुमा ,तुम्हारे प्यार के तरसदार
वो आज है ,कल थोड़े है।
किरायेदार हूँ,अपना मकान थोड़े है।।
बरसात और उलूक टाईम्स
दर्द जब होता है हर कोई दवाई खाता है
तुझे क्या ऎसा होता है कलम उठाता है ।
रोशनी साथ मिलकर इंद्रधनुष बनाता है
अंधेरे में आँसू भी हो तो पानी हो जाता है ।
क्यूं पुकारा ये बता दे ........राजेश कुमार राय
कौन होगा इस दफा अपना तुम्हारा ये बता दे
टूट कर भी क्यूं तना है इक सितारा ये बता दे
जान कर हैरान हूँ मैं इस चमन की दासतां को
किसने लूटा किसने रौंदा किससे हारा ये बता दे
बनी रहे यह भावना....नूपुरम्
तुम्हें आशीर्वाद हमारा ।
जब किसी को दुखी देखना,
उसका दुख कम करने का
भरसक प्रयास करना ।
हर बार तुम्हारे बस में
हो ना हो कुछ बदलना,
तुम्हारे मन में हमेशा रहे
जब भी जितनी हो सके
उतनी किसी की व्यथा
कम करने की भावना ।
हम, हम में थे.....पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
हम, हम में थे....
हम! तुझ में ही खोए हम थे,
जुदा न खुद से हम थे,
तुम संग थे,
तेरे पग की आहट मे थे,
कुछ राहत मे थे,
कुछ संशय में हम थे!
कहीं तुम और किसी के तो न थे?
हदों के उस पार.....पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
दोरुखें जीवन के रास्ते, यकीन जाए तो किधर,
कुछ पल चला था वो, साथ मेरे मगर,
अब बदलते से रास्तों में छूटा है यकीन पीछे,
भरम था वो मेरे मन का, चलता वो साथ कैसे,
हाँ भटकती यकीन कितनी? हदों के उस पार.....
नाक के इशारे.........अपर्णा बाजपेई
इशारे करना अफोर्ड कर सकता है हर मर्द
गरीब-अमीर, मालिक -नौकर, आफीसर- मजदूर
नपुंसक भी........
क्योंकि इशारों के बीच नाक नहीं आती!!!!
नाक!
हाँ नाक
इशारे करने में नाक नहीं कटती......
साक्ष्य नहीं होता कोई भुक्तभोगी के पास,
भद्दे इशारे करने के बाद भी;
आप दिख सकते है सभ्य
चल सकते हैं सीना तान,
दिल की हर बात .....लोकेश नदीश
दिल की हर बात मैं कहूँ किसको
अपने हालात मैं कहूँ किसको
मैंने खोया तो पा लिया दिल ने
जीत कर मात मैं कहूँ किसको
अश्क़ भी याद भी है, ग़म भी है
इनमें सौगात मैं कहूँ किसको
सरहदों पर चाँदनी.....अमित निश्च्छल
सरहदी उन्माद है शीर्ष पर चढ़ा हुआ,
जीव एक मृत सा
बैठा, बर्फ में सना हुआ,
निशि की एकाकी शांतियों में सोचता है;
बरबस...
मनोहर भावों को पुचकारता है, नोचता है।
वस्तु बनकर जी रहा है,
हम हैं ख़ान के मज़दूर ..... मुसाब इक़बाल
नहीं हक़ हमारा आज़ादी पर है
नहीं हक़ हमारा तरक्क़ी पर है
ख़ून थूकते थे हम हर जश्न में
ख़ून जलाकर सियाही क़बूलते थे हम
खून और सियाही में लिपटे थे हम
ख़ून और सियाही में लिपटे हैं हम!
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चलते-चलते...
सुनहरी यादों पर एक नजर....
जन्म दिवस रथयात्रा 2015
अकेले थे हाथ-पैर उग रहे थे
जब ये एक वर्ष का हुआ.. जन्म दिन दो बार मनाया गया
मर जाना किसे समझ में आता नहीं है...
अतीत की सुखों के लिए सोच क्यों,
अनागत भविष्य के लिए भय क्यों “,
दूसरा जन्म दिवस रथयात्रा 2017
रविवार, 19 जुलाई 2015 को
याद करती हूँ..... आज का दिन
आज के दिन ही प्रसव हुआ
नन्हे शिशु "पांच लिंकों का आनन्द" का
जननी ने चलना सिखलाया....
15 रचनाएँ हैं
3 से भाज्य तो 5 शुभ
5 से भाज्य तो 3 शुभ कि अशुभ
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम सत्ताईसवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
'संकल्प'
...उदाहरण...
रात गई , बात गई
आओ दिन का अह्वान करें
भूलें तम की नीरवता को
जीवन में नव प्राण भरें
आओ छू लें अरुणाई को
रंग लें अपना श्यामल तन
सूर्यकिरण से साँसे माँगें
चेतन कर लें अन्तर्मन
ओस कणों के मोती पीकर
स्नेह रस का मधुपान करें।
-शशि पाधा
मेरी धरोहर
उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से
पूरी कविता लिखने की आज़ादी है
आप अपनी रचना आज शनिवार 14 जुलाई 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय
अंक 15 जुलाई 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
रचनाएँ पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
सुन्दर व्याख्या अंक 3 की..
3 और 5 दोनो हैं बड़े टेढ़े
कहते हैं न...
ज्यादा तीन पांच करेगी तो
देख लूंगी तुझे भी
अच्छी रचनाएँ प्रेषित की हमारे पाठको ने
आभार....
सादर
सुप्रभात दी:)
जवाब देंहटाएंआज का विशेष दिन और विशेष विशेषांक अद्भुत संयोजन है। रथयात्रा के दिन शुभारंभ इस सफ़र के हमक़दम बनकर गर्व का अनुभव हो रहा है।
सभी प्रबुद्ध पाठकों और साहित्य सुधियों के सहयोग से आने वाले वर्षों में और भी धूम-धाम से हम यह जन्मदिन मनाते रहे यही शुभकामना है।
दी पुरानी वर्षगाँठ के लिंक पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
इस अविस्मरणीय अंक के लिए बहुत बहुत आभार और इस
विशेष अंक में चयनित रचनाकारो़ को बहुत सारी शुभकामनाएं।
सादर।
सर्वप्रथम हलचल के पांच वर्ष पूरा होने के लिए समस्त टीम को बधाई।
जवाब देंहटाएंदूसरा, 5 या 3 शुभ या अशुभ की तर्कपूर्ण व्याख्या ने चेतना को जागृत कर दिया। यह बस मन की सोच का फल है।
तीसरे, आज की प्रस्तुति में मेरी दो दो रचनाओं को पाकर अति प्रसन्नता हुई। मेरी रचनाओं को जन जन तक पहुचाने में हलचल मंच का अविस्मरणीय योगदान हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।
3 वर्ष पूरे हुए
हटाएंवर्ष तीन हों, पांच हों या तेरह हों महत्त्व समय का नहीं उपलब्धि का होता है। मात्र इस छोटे से जीवन काल ने हलचल को ब्लॉग जगत में एक ऐसा मंच बना दिया है जो साहित्य साधकों को एकजुट कर रहा है और नित नयी प्रतिभाओं को सामने ला रहा है। साहित्यिक गतिविधियों से सजे हुए हिंदी ब्लॉग हर रोज सामने आते हैं और आप सबकी पारखी नज़र उन्हें हम तक पंहुचाती है निःसंदेह इस मंच के चर्चाकार बेहद मेहनत और धैर्य का कार्य का रहे हैं। इस मंच से जुड़े सभी चर्चाकारों,लेखकों और पाठकों को तीसरे वर्षगाँठ की शुभकामनाएं। यह कारवां यूं ही चलता रहे और हम सब इसकी अनंत वर्षगाँठ मनाएं इसी आशा और विश्वास के साथ समस्त सभी रचनाकारों को बधाई। इस अंक में मेरी भी रचना को स्थान देने के लिए बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंसादर
अद्भुत प्रस्तुति....., विशेष विशेषांक.., आप सब को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ कामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति। तीन वर्ष पूरे होने पर सभी चर्चाकारों को उनकी मेहनत और लगन के लिये साधुवाद। 'उलूक' की कतरन भी शामिल करने के लिये आभार। यात्रा अनवरत जारी रहे इसी अन्दाज में शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत शीश सुशोभित त्रिदेव सा
जवाब देंहटाएंमन से शुभकामना फैले ख्याति त्रिलोक तक
रचनाकारों को चर्चा कारों को नमन त्रिवर्ष पर
तीसरी सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएं।
तीसरी सालगिरह पर अनंत शुभकामनाएँ। हिंदी साहित्य के संगोपन, संवर्धन और नए रचनाकारों को प्रोत्साहन की संजीवनी बूटी देने के लिए आप सभी चर्चाकारों का जितना शुक्रिया अदा किया जाए कम है। केवल पाँच लिंकों के संयोजन मात्र तक सीमित ना रहकर, हमकदम जैसा कुछ ना कुछ नए सृजन करवा लेने वाला उपक्रम, रचनाकारों का परिचय, विचारोत्तेजक एवं गंभीर चिंतन को बाध्य करते अग्रलेख,समसामयिक घटनाओं पर लोकजागृति का कार्य,बिना किसी धार्मिक भेदभाव के हर त्योहार और उत्सव की रंगारंग प्रस्तुतियाँ और इन सबसे बढ़कर आपसी प्रेम, स्नेह एवं सद्भाव का प्रसार..... ये सभी हलचल की विशेषताएँ हैं जो उसे सबसे अलग पहचान देती हैं। कभी व्यस्तता के कारण उपस्थित नहीं भी हो पाए तो मलाल नहीं दर्शाते। ना कोई पक्ष विपक्ष, ना कोई भेदभाव। हलचल मेरा प्यारा ब्लॉग है और हमेशा रहेगा।
जवाब देंहटाएंहार्दिक अभिनंदन !!!!!
तीसरी वर्षगाँठ का अतीव ख़ुशनुमा अनुभव कराती उत्कृष्ट रचनाओं से सुसज्जित बेहतरीन प्रस्तुति। आदरणीया यशोदा बहन जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंआप सबका स्नेह और आशीर्वाद आज हमें इस मक़ाम तक ले आया है जिसके लिये आपका ह्रदय ताल से आभार एवं शुक्रिया।
"तीन" पर रोचक जानकारी प्रस्तुत की गयी है जिसमें त्रिलोक, त्रिदेव और त्रिवाचा को भी जोड़ लिया जाय।
इस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
आज पुरी (उड़ीसा) में निकलने वाली भगवान जगन्नाथ,बलभद्र जी एवं देवी सुभद्रा जी की रथयात्रा श्रद्धालुओं को भावविभोर कर देती है.
आज का विशेष विशेषांक अद्भुत संयोजन है। रथयात्रा के दिन इस सफ़र के तीन वर्ष पूरी होने पर सभी को बधाई।
जवाब देंहटाएंविभा दी की तीन की व्याख्या और तीन का भाज्य और भी प्रस्तुति को अविस्मरणीय बना रहा है।
नित्य नई विचारों के साथ रचनाकारों की प्रस्तुति निसंदेह हलचल लिंक को कुछ खास बनाती है।
धन्यवाद।
इस चराचर अद्यात्मिक ब्रह्माण्ड की सृष्टि के तीन मुलभुत गुणसूत्र - "सत्व, रजस और तमस (अर्थात, वैज्ञानिक भौतिक जगत के एटम के इलेक्ट्रान, प्रोटोन और न्युट्रान)" परमात्म मोक्ष प्राप्ति के तीन योग - "सांख्य (ज्ञान), कर्म और भक्ति", 'हलचल' के आज तीन साल और पांच लिंक पर नित नित गुंजित सप्तार्ष (सात साहित्य साधक ऋषियों का) समवेत पांचजन्य उद्घोष ...... चरेवेति! चरैवेति!! चरैवेति!!!
जवाब देंहटाएंअत्यंत रोचक और स्तरीय संकलन! बधाई और शुभकामनाएं साहित्य के इस प्रयाग में दैनिक कुम्भ आयोजन की!!!
बढ़िया हलचल प्रस्तुति ,,,,
जवाब देंहटाएंइसमें सम्पादन की सुविधा प्रदान करें ताकि टंकण त्रुटि को सुधार सकें. ऊपर 'चराचर आध्यात्मिक...' पढ़ें.
जवाब देंहटाएंअति उत्तम भूमिका के साथ काव्य संकलन जैसे पुष्प गुच्छ को किसी खूबसूरत गमले मैं स्थापित कर समक्ष रखना ...बधाई काव्य को स्थान दे अनुग्रहीत किया ...आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत भूमिका के साथ अद्भुत प्रस्तुति , तीन की सुंदर व्याख्या !!! तीन वर्ष पूरे होने की हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंतीसरी सालगिरह पर हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति
आदरणीय दीदी -- सादर प्रणाम | आजके लिंको में तीन पर अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी के साथ शानदार भूमिका मन को छु गयी | पांच लिंकों का तीन वर्ष पहले स्नेह से लगाया गया नन्हा पौधा आज सघन वृक्ष बनकर साहित्य प्रेमियों के लिए स्नेह भरी छाया बन गया है | इसके प्रांगण में ना कोई भेद भाव है ना पक्ष पात | मेरेएक साल के ब्लॉग्गिंग के अनुभव में पांच लिंकों ने शानदार भूमिका अदा की है |दोनों ब्लॉग पर मेरी अस्सीप्रकाशित रचनाओं में से शायद कोई ही बची हो जो पांच लिंकों का हिंसा ना बनी हो |इस अतुलनीय स्नेहासिक्त सहयोग के लिए सभी चर्चा कारों को नमन करती हूँ और हार्दिक बधाई देती हूँ |जिनके सहयोग से रचनाएँ बहुत बड़े पाठक वर्ग तक पहुंची और ब्लॉग की लोकप्रियता बढ़ी | आपसी सौहार्द और साहित्यिक भाईचारे की बेमिसाल पहचान ये लिंक अपने स्नेह पथ पर यूँ ही अग्रसर रहें और साहित्यिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ाते रहें यही कामना है | आज के सभी रचनाकारों की लाजवाब रचनाओं के लिए सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाये | सादर --
जवाब देंहटाएंवाह बेहद खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंलाजवाब विशेष संकलन
रथ यात्रा और तीसरी वर्षगाँठ पर हार्दिक शुभकामनाएँ
सफ़र यूँही बढ़ता रहे और नयी ऊँचाइयाँ छूता रहे
सभी आदरणीय जनो को सादर नमन शुभ रात्रि 🙇
हलचल होते हुए भी यहां शांति है. सकारात्मक विचार. सादगी भरी प्रस्तुति. अटपटे विज्ञापनों का हमला नहीं.
जवाब देंहटाएंइस पन्ने को पढना और इस पर जगह पाना बड़े सौभाग्य की बात है. धन्यवाद.
बलभद्र,सुभद्रा और कृष्ण,
इष्ट तीन हैं.
तीन संकल्प हैं,
सत्यम शिवम् सुन्दरम्
अच्छी पोस्ट शेयर करने के लिए धन्यवाद दोस्तों शायरी
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