का विषय...
........... यहाँ देखिए ...........
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें
आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।
टिप्पणीकारों से निवेदन
1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।
शुभ प्रभात रवीन्द्र भाई
जवाब देंहटाएंग्लोबल रायटर....
अपने घर की व आस-पास की घटनाओं पर
अपनी भड़ास निकालना
विविध रचनाएँ
पसंद आई
सादर
शुभ प्रभात आदरणीय बढ़िया संकलन वर्तमान परिस्थितियों
जवाब देंहटाएंको देखकर मन क्षोभ से भर उठता है ऐसे में आपका प्रयास सराहनीय है।
सुप्रभात रवींद्र जी,
जवाब देंहटाएंसही और सार्थक सीख, अपने आस-पास की घटनाओं पर लिखना ही काफी नहीं शायद अब अपनी भूमिका भी तय करनी होगी कि तमाम बर्बरतापूर्ण और अमानवीय कृत्यों से किस प्रकार समाज की रक्षा की जाये। अपनी खोलो में सिमटकर चंद पंक्तियों में आक्रोश व्यक्त कर हम समाज के प्रति अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकते।
विचारणीय भूमिका के बेहद सुंलर सारगर्भित रचनाओं का आस्वादन करवाने के लिए बहुत आभार आपका।
सुंदर प्रस्तुति के बहुत बधाई एवं सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं।
सभी सम्मानित रचनाकारों को मेरा नमस्कार
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए रविंद्र जी को साहृदय धन्यवाद
बहुत सुंदर रचनाएं सही सीख देती हूई सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसोशल-मीडिया की अनियंत्रित अराजकता के विषय को इंगित करती हुई सकारात्मक भूमिका के साथ सुन्दर प्रस्तुति रविन्द्र सिंह जी । सभी रचनाएं अत्यंत सुन्दर हैं मेरी रचना को शामिल कर मान देने के लिए हार्दिक आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंवाह!!रविन्द्र जी ,बहुत सुंदर प्रस्तुति ..भूमिका ,विचारणीय है ..
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंसारगर्भित तथ्य है ये, सोशल मिडिया "बंदर के हाथ उस्तरा" जैसा,विनाश कारी संभावनाएं बढती जा रही है ।
जवाब देंहटाएंना सेंसर ना अपारर्दिता,मूल्य ग्रहणिय भुमिका के साथ सुंदर रचनाओं का संकलन सभी रचनाकारों को बधाई
बहुत सुन्दर प्रस्तुति। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंरविन्द्र जी की प्रासंगिक टिप्पणी और अमित जी के निश्छल उद्गार का अत्यंत आभार!परिमार्जन की परंपरा का प्रारंभ परिवार से ही होना चाहिए। बाकी कोई निदान नही।सभी अपने परिवार को संभाले समाज स्वतः कुसंस्कृतियों से मुक्त हो जाएगा। जब परिवार में ही मूल्य दम तोड़ने लगे तो फिर सब लफ़्फ़ाज़ी है। सुंदर रचनाओं के संकलन का साधुवाद!!!
जवाब देंहटाएंशुक्रिया मित्रगणों ..आज का मंच कुछ भिन्न और उत्प्रेरक लगा ..रवींद्र जी का कथन उत्तम लेखन का संग्रह उस पर भाई अमित जी की अद्भुत व्याख्या और पूर्ण समर्थन देते विश्व मोहन जी के उदगार ...सब सारगर्भित और विचारणीय ..सिर्फ .सुनने पढ़ने की नहीं चिंतन मनन की
जवाब देंहटाएंबात ! अति आभार सभी का ..🙏
मन को प्रफुल्लित करने वाली रचनाएं हैं
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंसोशल-मीडिया की अनियंत्रित अराजकता के विषय को रौशन करती हुई भूमिका के साथ सुंदर संकलन।
आभार।
sadhana vaid5 जुलाई 2018 को 11:02 am
जवाब देंहटाएंखूबसूरत रचनाओं को संकलित किये हुए शानदार संकलन आज का ! मेरी रचना को आज के इस अंक में चुनिन्दा रचनाओं के साथ स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! !