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शनिवार, 28 जुलाई 2018

1107... उलझन



सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष

आसाढ़ में सूखा पड़ा तो चिंता
सावन में बारिश शुरू हुई तो चिंता


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उलझन

कविता के लिए वक्त निकालना
आपाधापी भरी जिंदगी में कुछ पल
अपने लिए तलाशना है
कविता एक चाहत है ,
अनुभूतियों को आयाम देना ,
शब्दों से खेलना और बातें करना है.
पर और भी बहुत कुछ है
करने के लिए जिंदगी में वक्त कम

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उलझन

समझदार हो गया हूँ या अभी कुछ नादानी बाकी है !
बेखबर हूँ खुद से मगर लगता है अब सुलझन में हूँ !!

जिंदगी की कशमकश में मशगूल कुछ इस तरह है !
बना बहाना वक़्त का अपनों से दूर बिछडन में हूँ !!

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उलझन

इश दुनियाँ (परिवार) में दीप न जलता , तो लगता है आया काल |
काल रूपी जब दीप जला तो , खुशियाँ बनती है जौजाल ||

जब खुशियाँ उठती है ऊपर , तो आते है काल का छाँव |
इश छाँव में जल जाते है , ऊपर -ऊपर के ही पाँव ||


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उलझन

अब बस हुआ, अब बस करो मुझको नही रहना यंहा,
अब बस हुए ये दर्द और उलझन भरी ये ज़िन्दगी।

जाने दो मुझको दूर, ये सब नही मेरे लिये,
चाहूँगी उसको उम्र भर पर वो नही मेरे लिए।


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उलझन

वक़्त के दरख़तों पर यादें कईं कईं है,
कुछ पड़ी धुँधली कुछ यादें नयी नयी है,
आशाओं के पुलिंदे फिर भी बांधता है इंसान,
कुछ समझ नहीं आता,
क्या चाहता है इंसान |


Image result for उलझन कविताफिर मिलेंगे...


हम-क़दम 
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का उन्तीसवाँ क़दम 
इस सप्ताह का विषय है
'किस्मत'
...उदाहरण...
मानना होगा इसे और
करना होगा संतोष
क्योंकि - वक्त से पहले और
किस्मत से ज्यादा नहीं मिलता
किसी को भी, कभी भी कुछ।

किस्मत भी बनाना पड़ता है -
सदैव कर्मरत रहकर।
कर्मों का यही हिसाब देता है
हमको वह फल, जो आता है
इस लोक और परलोक में
दोनों ही जगह काम।
-देवेन्द्र सोनी

उपरोक्त विषय पर आप सबको अपने ढंग से 
कविता लिखना है.....

आप अपनी रचना शनिवार 28 जुलाई 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 30 जुलाई 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
रचनाएँ  पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के 
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें



14 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय दीदी
    सादर नमन
    सदा की तरह विलक्षण प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात दी,
    सदा की भाँति अनूठी प्रस्तुति। उलझन पर सुंदर रचनाएँ पढवाई आपने।
    सादर आभार दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    अब उलझन भरी भी तो
    नहीं कह सकते हैं :)

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात दी...काफी दिनों बाद आज दोबारा पढ़ने बैठ गई, वहीं शानदार अहसास हुआ जिसे छोड़ आई थी.. खूबसूरत रचनाएं ताजगी से भरी हुई.. बधाई आपको!!

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह ..बेहतरीन प्रस्तुति
    उलझन संग सहेली जैसी
    अच्छी और बुरी भी

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर उलझन विशेष पर प्रस्तुति
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति । चयनित रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. एक ही विषय पर भिन्न भिन्न विचारों का सुंदर संकलन, शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई ।

    मन तार है उलझे उलझे
    एक तार सुलझा ना पाई
    भँवर जाल मे ऐसी उलझी
    तल तक जा फिर ऊपर आई
    ना हाथों मे मोती आये
    हीरे सा चैन गवाँ आई ।

    जवाब देंहटाएं
  9. चाहूँगी उसको उम्र भर पर वो नही मेरे लिए।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  10. ज़िंदगी की उलझन पर अलग-अलग नज़रिया प्रस्तुत करती विचारणीय प्रस्तुति. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं

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