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गुरुवार, 26 जनवरी 2017

559...कुछ भी हो हर हाल तिरंगा लहराए।


जय मां हाटेशवरी...

आज हम 68वां गणतंत्र दिवस मना रहे हैं...
गणतंत्र का अर्थ है... गण का तंत्र, यानि आम आदमी का शासन... अर्थात
 जहां  वंशवाद के आधार पर कोई राजा शासन नहीं कर सकता। जनता अपने लिए शासक और सरकार का चुनाव लोकतांत्रिक तरीके
से करती है। ये शासक संविधान और संसद के प्रति जवाबदेह होकर राष्ट्रहित में नीतियां और कानून बनाते हैं।
पर   आम आदमी को तो वोट तक ही सीमित कर दिया...
हर तरफ भ्रष्टाचार है...
महिलाएं   आज भी गुलामों सा जीवन जी रही हैं...
आतंकवाद का भय...हर आदमी को भयभीत कर रहा है...
आज यहां पश्चिमी संस्कृति का बोल-बाला है...
न भाषा अपनी...न संस्कृति सभ्यता...
मैकाले की शिक्षा-प्रनाली ही चल रही है...
वोही 100 साल पूराने कानून...
फिर कैसा गण-तंत्र...
 एक जयचंद के कारण हम कई हजार वर्ष गुलाम रहे...
आज तो देश में...कई जय चंद हैं...
जो जिस डाली पर बैठे हैं...उसे ही काट रहे हैं...
पर अब भारत की जंता जाग रही हैं...
ये मैं नहीं...68वां गणतंत्र-दिवस कह रहा है...
आप सभी को...68वें गणतंत्र-दिवस की शुभकामनाएं...
...मैंने आज जो पढ़ा...उसके कुछ अंश...


 
देश रहे खुशहाल, तिरंगा लहराए
चमके माँ का भाल,तिरंगा लहराए।
आजादी का पर्व मनायें हम हँसकर
कुछ भी हो हर हाल तिरंगा लहराए।
व्यर्थ न जाए बलिवीरों की कुर्बानी
ऐसे ही हर साल तिरंगा लहराए।
इसकी खातिर चढ़े भगत सिंह फाँसी पर
मिटें हजारों लाल, तिरंगा लहराए।
कर देना नाकाम सुनो मेरे वीरो
दुश्मन की हर चाल, तिरंगा लहराए।


तिरंगे के तीन रंग
अपने आप में पूर्ण
भगुआ रंग जोश भरता
सारे कार्य सफल करता |
श्वेत रंग शान्ति का द्योतक 
समृद्धि का हरा रंग परिचायक
चक्र बताता विविधता में एकता
देख देख मन न भरता |

जब भी देखा
अपनी आखों से
संसार में मात्र
ममत्व  सुन्दर है
और कुछ भी नहीं


 
"मेरी परवरिश अच्छी हुई .... मैं पढ़ी लिखी हूँ ... शिक्षिका हूँ .... मेरे पिता मेरे संग रहने आये मगर रह ना सकें | हमारा संस्कार , हमारी परवरिश ऐसी है कि
हम ससुर से वैसा व्यवहार नहीं कर सकते हैं , जैसा हमारे घर आये हमारे पिता के साथ होता है , हम घर छोड़ भी नहीं सकते  " बताते बताते रो पड़ी महिला ...

जिंदगी सवाल करती है,
कभी सीधे, कभी आड़े-तिरछे,
जिंदगी मचलती बड़ी है,
कभी फिसलकर, कभी इठलाकर,

आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने बताया कि साल में एक बार ही सभी ग्रहों को एक रात में देखने का संयोग
बनता है। सूर्य हमारे सौर परिवार का मुखिया है। सभी ग्रह अपने कक्षा में उसका चक्कर लगाते हैं। अक्सर कोई न कोई ग्रह सूर्य के पीछे आ जाता है। जिस कारण सभी
को
एक रात में नहीं देखा जा सकता है। इस बार यह संयोग जनवरी के उत्तरार्ध में बन रहा है।

26 जनवरी की रात को इन्हें बखूबी देखा जा सकता है। इन ग्रहों में प्रेम की देवी कहे जाने वाली वीनस, गुरु, शनि व मंगल को कोरी आंखों से देखा जा सकता है। बुध
को भी देखा जा सकता है, लेकिन सूरज के काफी नजदीक होने के कारण थोड़ा मुश्किल होता है। नेपच्यून व यूरेनस को दूरबीन से देखा जा सकेगा। छोटी दूरबीन से सभी ग्रहों
को बेहतर ढंग़ से निहारा जा सकता है। बुध को सूर्यास्त व सूर्योदय के समय सूर्य के निकट देखा जा सकता है। इसके अलावा सांझ ढलने के बाद वीनस को आसानी से देखा
जा सकता है।


धन्यवाद।





9 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    बहुत ही प्यारी रचनाएँ
    भारतीय गणतंत्र दिवस पर अशेष शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. उत्तर
    1. शुभ प्रभात आप सभी को आदरणीय आंटी जय तो केवल और केवल भारत की ही कही जानी चाहिए क्योंकि हम हैं आज कल हम नहीं होंगे पर भारत हमेशा था हमेशा रहेगा इसलिए जय उसी की ही होनी चाहिए जो हमेशा रहेगा पुनः आभार

      हटाएं
  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति...
    सभी को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  5. गणतंत्र दिवस पर सभी को शुभकामनाएं । सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. Sahi sachayi pamch linko me, 68 saal baad bhi hum purane angrej shasko dwara banaye kanoon desh me lagu rakhe hue hain, fir kahe ka yeh GANTANT ......Swarthi vidhayk aur sansdo ko samay hi nhi muddo per behus ka, sirh samay barbad naare laga ker dharam, jaati, bhasha ki rajneeti ko hi sambhalte hue

    जवाब देंहटाएं
  7. इस स्तम्भ में गिनी चुनी लिंक्स होती हैं इस कारण पढ़ने में बहुत सुविधा होती है |आज मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद कुलदीप जी |

    जवाब देंहटाएं
  8. सभी लिंक्स अच्छें हैं
    सुन्दर शब्द रचना
    गणत्रंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं

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