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सोमवार, 22 अगस्त 2016

402..सच कभी अपने झूठ नहीं कहता है

शुभ प्रभात..
सादर अभिवादन स्वीकारें
उपस्थित हूँ आज की पसंदीदा रचनाओं के साथ..


कमर झुक -झुक कर
धरती से बतियाने लगी
कुछ ‘अपनें’ लोगो नें
‘अपनें समाज’ से निकाल दिया
घर की किसी कोठरी में
टूटी कुर्सी की तरह
डाल दिया !

मर्यादित रहना सदा हो सीमा का भान
बाधाएँ आती डरे रक्षित निज सम्मान
ओलम्पिक की रेस हो या जीवन का झोल
ले चुग्गा विश्वास से बिटिया री मुँह खोल

झूला झूलती
है बहिनभैया की 
है तीज आज |


बेटियाँ....डॉ. पूर्णिमा राय
आज खुद की कमी भाँपती बेटियाँ;
आसमाँ की ज़मीं नापती बेटियाँ।।

दुश्मनों को हराकर सदा खेल में;
मुस्कुराहट से' दिल जीतती बेटियाँ।।



बचपन जाने कहाँ गया  !
कस के मुट्ठी बाँधी फिर भी, रेत फिसलती जाती है !
इतनी जल्दी क्या सूरज को ? 
रोज शाम गहराती है !


लो बूटी और बेस हमारे गीतों में शामिल हो गए... कुलवन्त हैप्पी
बूटी का हिन्‍दीकरण पिछवाड़ा हालांकि उर्दूकरण थोड़ा सा सलीके वाला है, तरशीफ। इस गीत में जैकलीन फर्नांडीज ने जमकर बूटी थिरकाई है। जैकलीन फर्नांडीज श्रीलंकाई हैं। आप जैकलीन फर्नांडीज के जितने गाने देखेंगे, आपको बूटी के सिवाय शायद ही कोई अन्‍य मूवमेंट नजर आए।

और अंत में
एक साल पहले.. और आज का शीर्षक



सोच कर देख .....सुशील कुमार जोशी   
‘उलूक’ किसी दिन 
दुनियाँ दिखाती है 
बहुत कुछ दिखाती है 
उसमें कितना कुछ 
बहुत कुछ होता है 
कितना कुछ कुछ 
भी नहीं होता है 
जो कुछ भी कहीं 
भी नहीं देखता है 
जो कुछ भी कभी 
भी नहीं सोचता है 
....
आज्ञा दें यशोदा को
सादर






6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. ढ़ेरों आशीष व अशेष शुभकामनाओं संग शुभप्रभात छोटी बहना
    उम्दा प्रस्तुतिकरण

    जवाब देंहटाएं
  3. आपका प्रयास बेहद सराहनीय है। लिंकों के साथ साथ आप अपनी भी एक पोस्‍ट लिखकर डाला करें, शुरूआत में, संक्षेप में ही सही।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. शुभ संध्या कुलवन्त भाई
      है न मेरा ब्लाग भी शामिल
      इस जगह
      उपस्थित हूँ आज की पसंदीदा रचनाओं के साथ..
      सादर

      हटाएं
  4. सुन्दर प्रस्तुति यशोदा जी । 'उलूक' का आभार सूत्र को शीर्षक देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन रचनाएं ..नमन सहित आभार..यशोदा जी.आपने मेरी रचना को यहाँ स्थान दिया...

    जवाब देंहटाएं

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