गुरुवार का दिन है तो अब पेश है ................. मेरी पसंद के कुछ लिंक :))
बापू – यादों में नहीं सिर्फ जेबों में रह गए हैं
बापू
अच्छा ही हुआ
जो आप नहीं हैं आज
अगर होते तो
रो रहे होते खून के आंसू
गणतंत्र को गनतंत्र बना देने वाले
क्या रत्ती भर भी समझ पाये हैं !
मेरी धरोहर ब्लॉग पर ............यशोदा अग्रवाल :)
गज़ल के शेर बनाना हमें नहीं आता
ये माना साथ निभाना हमें नहीं आता
किसी को छोड़ के जाना हमें नहीं आता
वो जिसकी जेब में खंजर ज़ुबान पर मिश्री
उसी से हाथ मिलाना हमें नहीं आता
स्वप्न मेरे ब्लॉग पर ................ दिगंबर नासवा :)
हाँ मैं जिन्दगी हूँ ,
तुम्हे जीना सीखा दूंगी.....
घुल गयी जो..
तुम्हारी सांसो में तो....यक़ीनन..
तुम्हारी सांसो को महका दूंगी !
'आहुति' ब्लॉग पर .................... सुषमा वर्मा :)
'आइटम' कहते हुए लज्जा तो आनी चाहिए !
कोख में ही क़त्ल होने से बची कलियाँ हैं हम ,
खिल गयी हैं इस जगत में झेलकर ज़ुल्मो सितम ,
मांगती अधिकार स्त्री भीख नहीं चाहिए ,
अपने हिस्से की हमें भी अब इमरती चाहिए !
भारतीय नारी ब्लॉग पर .........शिखा कौशिक 'नूतन':)
खिड़की के चार सींखचों और
दरवाज़े के दो पल्ले के पीछे
इस बेतरतीब बिस्तर
और इन तकियों के रुई के फाहे में,
बिना रुके इस घुमते पंखे
और इस सफ़ेद CFL की रौशनी में,
हर उस शय में
जो मुझे इस कमरे के
चारो तरफ से झांकती है...
खामोश दिल की सुगबुगाहट ब्लॉग पर ...........शेखर सुमन :)
इसी के साथ ही आप सब मुझे इजाजत दीजिए अलविदा शुभकामनाएं फिर मिलेंगे अगले हफ्ते इसी दिन
-- संजय भास्कर
सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह.....
जवाब देंहटाएंआभार.....
सादर..
बहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
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