आज से विक्रम संवत 2073 का आरंभ हो रहा है...
वैदिक पुराण और धर्म शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि ही वह दिन है, जब जगत पिता ब्रह्म देव ने सृष्टि की रचना प्रारंभ
की थी। इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। सतयुग का प्रारंभ भी इसी तिथि को हुआ था। इसी दिन राजा विक्रमादित्य ने शकों (समाज विरोधी शासक) पर विजय
प्राप्त की थी। उसे चिर स्थायी बनाने के लिए उन्होंने विक्रम संवत का शुभारंभ किया था। यही वह कारण है कि सृष्टि रचना के दिन को अनादिकाल से नववर्ष के रूप में
जाना जाता है।
पर इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि हम अपने इस नव वर्ष को बिलकुल ही भूल चुके हैं।
आप सभी को विक्रम संवत 2073 की असंख्य शुभकामनाएं.....
अब चलते हैं....
आज के चयनित लिंकों की ओर...
श्रद्धा सुमन: श्रीराम का दुखी नगरवासियों के मुख से तरह-तरह की बातें सुनते हुए पिता के दर्शन के लिए कैकेयी के महल में जाना--Anita
छह सद्गुणों से राम सुशोभित, सुंदर अति पाया स्वभाव है
राज्याभिषेक नहीं होने से, प्रजा को भारी क्लेश हुआ
जीव तड़पते ज्यों सरवर में, ग्रीष्म ऋतु में जो सूखा
इन जगदीश्वर श्रीराम की, पीड़ा से जग व्यथित हुआ
जैसे जड़ें काट देने से, पुष्प सहित वृक्ष हो सूखा
ये महान तेजस्वी राम, मूल सभी मानवों के हैं
धर्म ही इनका बल है उत्तम, दूजे प्राणी शाखाएँ हैं
आधारशिला: आदमी आदमी को लूटता है--रौशन जसवाल विक्षिप्त
जीवन में खो जाते है जो जो
उन्ही को बार बार खोजता है
हार जीत का प्रश्न है गौण अब
जीवन जीवन को ही घसीटता है
ram ram bhai: आज जम्मू कश्मीर भी अपना कन्हैया ढूंढ रहा है--Virendra Kumar Sharma
देश प्रेमी छात्रों ने राष्ट्रप्रेम की जो अलख जम्मू कश्मीर के एनआईटी में जगाई है वह अमर जोत बनके रहेगी। बेशक एनआईटी के देश प्रेमी गैर -कश्मीरी छात्रों के
साथ पुलिस की बर्बरता के खिलाफ इक्का दुक्का कांग्रेसियों ने अपनी जबान खोली है लेकिन अफ़ज़ल गूर (एक ग्वाले को)अपना गुरु बनाने वाले वे लोग कहाँ हैं जिनकी
वजह से कांग्रेस कांग्रेस जानी जाती है। शशि थरूर समर्थित कांग्रेसी शहजादा अगर उसने अपनी अम्मा का दूध पिया है तो एनआईटी कैम्पस में जाके दिखाये। किसी एक पक्ष
में खड़े होने का हौसला जुटाके दिखाये। यही वह परिवार है और जिसके एक अदद शहजादे की दादी के पिताजी ने जम्मू कश्मीर में गुजिस्ता सालों में जतन से ये हालात पैदा
किये हैं।
रूप-अरूप: हड़िया तो बंद नहीं होगा.....--रश्मि शर्मा
मगर तेतरी जरा घबराई हुई है
जब से सुना है
बिहार में शराबबंदी हो गई
अनचिन्हे लोगों को देख
मुंह छुपा, फिर
दबी जुबान से पूछती है बूढे से
आजा
हमारा हड़िया तो बंद नहीं कराएगी
सरकार
ई कोई चुलैइया थोड़ी है...
कविता: वो दिन बारिश के.....--anamika ghatak
वक्त अपने वक्त के हिसाब से -
वक्त दिखाकर चला गया-हम लम्हों -
को ढूँढ़ते रह गए -
रास्ते अब भी वहीं है
बारिश के दिनों में भींगती हुई -
बस दो हाथ अलग हुए ॥
नयी दुनिया+: आज मेरी बारी है ..--Upasna Siag
" नहीं पिताजी ! माँ के इस तरह बार -बार सवाल करने पर मुझे वह कहानी याद आ जाती है जिसमें एक वृद्ध पिता के बार -बार सवाल करने पर बेटा भड़क जाता है ! मैं
सोचता हूँ कि मैंने भी तो माँ को कितना सताया होगा लेकिन माँ ने मुझे प्यार ही दिया। आज मेरी बारी है तो मैं क्यों परेशान होऊँ ! बेटे ने प्यार और विनम्रता
से जवाब दिया तो माँ का हाथ स्वतः ही बेटे सर पर चला गया। पिता भी भरी आँखों से प्यार और आशीर्वाद दे रहे थे। मेरा मन भी द्रवित हुआ जा रहा था।
धन्यवाद।
आभार कुलदीप जी आपने प्रोत्साहित किया
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसबको हिन्दू नव संवत्सर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा एवं चै़त्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
पठनीय पांच सूत्रों से सजी सुंदर हलचल..आभार व नये संवत्सर की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति। हृदय से आभार।
जवाब देंहटाएंसभी मित्रों को नये संवत्सर की शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
जवाब देंहटाएंरेखांकित करती हूँ
सादर