रविवार का दिन है तो अब पेश है.............मेरी पसंद के कुछ लिंक :))
संगीत सुनकर ज्ञान नहीं मिलता...
मंदिर जा कर भगवान नहीं मिलता...
पत्थर तो इसलिए पूजते हैं लोग...
क्यूँ कि विश्वास के लायक इंसान नहीं मिलता....
आदमी और आदमी के घोड़े हो जाने का व्यापार
बस कुछ लोग
जो होते ही हैं
हमेशा ही इस
तरह की जगहों
पर आदतन
रास्ते से भेजे गये
कुछ लोग कब
कहाँ खो जाते हैं
कब घोड़े हो जाते हैं
पता चलता है
टी वी और अखबार से
ग़ज़ल
लाखों गुबार दिल में दबाए हुए थे हम.
ठगता था हम को इश्क, ठगाता था खुद को इश्क,
कैसा था एतदाल, कि पाए हुए थे हम.
गहराइयों में हुस्न के, कुछ और ही मिला,
न हक़ वफ़ा को मौज़ू ,बनाए हुए थे हम.
509. अप्रैल फूल...
बेहयाई से बोला -
तू आज ही नहीं बनी फूल
उम्र के गुज़रे तमाम पलों में
तुम्हें बनाया है
अप्रैल फूल !
कम्युनिस्ट हो कर पूजा करना भी बहुत बड़ी लाचारी है
जाति की गणित में सांस लेता मज़हब की घृणा वही बांटता
सेक्यूलरिज्म की चादर पर नचाता बंदर वह बड़ा मदारी है
मंहगाई का असर नहीं है खर्चे की पैसा भर परवाह नहीं है
दुनिया जानती है आदमी ईमानदार नहीं पक्का भ्रष्टाचारी है
सैफ से शादी, अर्जुन से हनीमून
इंटरवल तक तो जीवन में मस्त चलता है। इंटरवल के बाद हाउस हस्बैंड और काममकाजी पत्नी के बीच संबंध वैसे ही हो जाते हैं, जैसे आम विवाहों में। अब शुरू होता
है। आर. बाल्की का संदेश। दरअसल, आर. बाल्की कहना चाहते हैं कि वैवाहिक जीवन में उतार चढ़ाव केवल व्यक्ति की व्यक्तिगत सपनों, अहं और जीवन की भाग दौड़
के कारण आते हैं। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि घर को कौन चला रहा है, महिला या पुरुष।
वाह...
जवाब देंहटाएंसुन्दर..
सादर..
शुभप्रभात....
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
बढ़िया प्रस्तुति । आभार संजय जी 'उलूक' के हॉर्स ट्रेडिंग 'आदमी और आदमी के घोड़े हो जाने का व्यापार' को स्थान देने के लिये ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
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