मंगलवारीय अंक में
आपसभी का स्नेहिल अभिवादन।
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इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े,
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी-पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े।
मशहूर शायर
की आज पुण्यतिथि है।
उनकी रूहानी आवाज़ महसूस कीजिए।
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आइये आज की रचनाओं का आनंद लें।
आज के अंक में
हर रचना के साथ कैफ़ी साहब की आवाज़ में
नज़्म और गज़ल के छोटे-छोटे वीडियो हैं।
रचनाओं और वीडियो का कोई तारतम्य नहीं मात्र एक प्रयोग भर है आप सभी साहित्य प्रेमी पाठकों के लिए ।
उम्मीद है आपको पसंद आयेगी।
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मैं समन्दर
सब कुछ मेरे अंदर ।
मन मेरा
एक कुशल
गोताखोर की तरह
लगाता रहता है
मुझमें ही गोता
ढूँढने को
कुछ सीपियाँ
कि मिल जाएँ
कुछ नायब मोती
हाथ आती भी हैं
कुछ सीपियाँ
लेकिन फिसल जाती हैं
और फिर मन
लगा लेता है गोता ।
तुम्ही सरला नित दौड़ पड़ती, छुने उस चन्द्र कला को चली।
न हाथ कभी लगता कुछ तुम्हें, तपी विरहा फिर पीड़ा जली।
प्रवास सदा मम अंतस रहो, बसो तनुजा हिय मेरे पली।
न दुर्लभ की मन चाह रखना, मयंक छुपे शशिकांता ढली ।।
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जैसे खत्म हो जाती है
किसी बच्चे की कच्ची पेंसिल
जैसे खत्म हो जाती है
रसोई की बची अंतिम रोटी
भूख से ठीक पहले
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एक आकाशगंगा में
विचरते हुए हम
बातें ही तो करते हैं
अपने एंड्राइड फ़ोन में
परअंतरक्षीय तरंगें उतारकर
मिटा लेते हैं
हज़ारों प्रकाशवर्ष की दूरी
जो कोई ग़ुनाह नहीं
इसीलिए
चाहती हूं तुम्हारी यात्रा
हर दफ़ा सड़क की लंबाई को
ज़रा और बढ़ाती जाए
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उसकी इसी आदत के चलते चप्पल की दुकान दिखते ही मेरी हृदय की गति बढ़ जाती है. कोशिश करता हूँ कि उसे किसी और बात में फांसे दुकान से आगे निकल जायें और उसे वो दिखाई न दे. लेकिन चप्पल की दुकान तो चप्पल की दुकान न हुई, हलवाई की दुकान हो गई कि तलते पकवान अपने आप आपको मंत्रमुग्ध सा खींच लेते हैं. कितना भी बात में लगाये रहो मगर चप्पल की दुकान मिस नहीं होती।
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आज के लिए बस इतना ही
कल का अंक लेकर आ रही हैं-
प्रिय पम्मी दी
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जय श्री राधे...
जवाब देंहटाएंजैसे खत्म हो जाती है
किसी बच्चे की कच्ची पेंसिल
जैसे खत्म हो जाती है
रसोई की बची अंतिम रोटी
भूख से ठीक पहले
सुंदर अंक..
आभार नायाब गीतों के लिए..
वाह
जवाब देंहटाएंअद्धभुत प्रस्तुति
जय श्री राधे
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पठनीय और समा बांधता अंक ।
बहुत शुभाकामनाएं श्वेता जी ।
आज की प्रस्तुति गज़ब समाँ बाँध रही है । कैफ़ी आज़मी की बेहतरीन नज़्में सुनवाई ।पशेमानी मेरा पसंदीदा गीत है । लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकिसी के लिए प्रेम छोटा शब्द होता है तो किसी के लिए जानलेवा , समुद्र भी अपनी लहरों को समझाता है कि इस चक्कर में न पड़ो । कुछ बातों के खत्म होने से परेशान तो कुछ मौन से । सबसे रोचक प्रस्तुति मैचिंग चप्पल के साथ लेखक की व्यथा की बयानबाज़ी है । बाकी सुधि पाठक आकलन करें ।
प्रिय श्वेता आज की प्रस्तुति की जितनी प्रशंसा करूँ कम ही होगी।
जवाब देंहटाएंकैफ़ी आज़मी साहब की जादूई आवाज़
में उनकी बेहतरीन रचनाएं, साथ ही शानदार लिंक्स सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
करीब एक महीने की अनुपस्थिति या निष्क्रियता, किसी भी ब्लॉग पर जाना नहीं हुआ न हीं पोस्ट डाली और अभी जब सक्रिय हुई और दूसरी ही पोस्ट को पाँच लिंकों पर देखा कर मन प्रसन्नता से खिल उठा ।
हृदय तल से आभार मेरी रचना को पांच लिंकों पर स्थान देने के लिए।
सस्नेह।
श्वेता जी अद्भुत प्रस्तुति,
जवाब देंहटाएंलाजबाव संकलन
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