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रविवार, 22 मई 2022

3401 ....एक तिनका आँख में जो चुभ रहा, ढूँढना एकाग्र होकर चाहती

जय श्री राधे.....



आज सीधे रचनाओं की ओर..
भाई कुलदीप जी व्यस्त हैं आज

पहली बार


जग  को  अंधियारा  बांटती
है  ऐसी  मशाल दुनिया की

विंकल,  लम्हों का मेहमान
उम्र अनंतकाल  दुनियां की




वक्त का वरदान तुमसे चाहिए,
जिंदगी है वक्त मुझसे मांगती ।
एक तिनका आँख में जो चुभ रहा,
ढूँढना एकाग्र होकर चाहती ।।
क्या किया क्या कुछ मिला ये सोचना है ?
अंत में कुछ और क्या कर पाऊँगी ?
जिंदगी बन जाऊँगी ।।





मैं फुरसत से नहीं
उनसे एक जरूरी काम की तरह
मिलता रहूँगा।
इसे मैं अकेली आखिरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूँगा।'




रेखा के कैरियर में उमराव जान एक नया मोड़ साबित हुई, जिसमें रेखा ने अदायगी का जादू बिखेरा। इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना रेखा की अभिनय क्षमता का प्रमाण था। उमराव जान के बाद रेखा के करियर में मंदी जरूर आई, लेकिन निजी तौर पर फिल्म-जगत में उनका जादू अब भी बरकरार है। आज भी रेखा की क्षमता और रहस्य हमेशा दिलचस्पी का सबब बना हुआ है और शायद हमेशा बना रहे।


चाय है आज के जमाने का
अमृत पेय,
न मिले तो सुबह नहीं होती,




दूर से आती हुई आवाज़ भला कैसे सुनूं
मुझे अनहद पे यकीं आज भी बेइंतहा होता है
याद आता है स्पर्श माँ का जब भी
दिल के कोने में फिर इक ख़ाब सा महकता है



पुरानी बात, दूर की बात, 
छोटी बात भी कभी बड़ी लगती है
पर पास खड़ी ख़ुशी, मज़ा, 
हंसी, वफ़ा ओझल हो जाती है


.....
आज बस

सादर 

5 टिप्‍पणियां:

  1. मेरी कृति को यहाँ स्थान दिया ,कृतज्ञ हूँ !! हार्दिक धन्यवाद यशोदा जी !!

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना को पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. मेरी रचना की पंक्ति को भूमिका में सजाने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन आदरणीय दीदी ।
    कई रचनाएँ पढ़ आई ।बहुत सुंदर सराहनीय अंक। आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा तहेदिल से नमन और वंदन ।

    जवाब देंहटाएं
  5. मेरी रचना को पाँच लिंकों का आनंद में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏

    जवाब देंहटाएं

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