जय मां हाटेशवरी.....
आज है.....अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस.....
दिन अधूरा हे सूरज के बिना
चाँद अधूरा हे सितारों के बिना
फूल अधूरा हे खुश्बू के बिना और
हम अधूरे हे परिवार के बिना ,
आज कल गरमी अधिक है......
इस लिये मैं शिमला से उपस्थित हूं......
आप की लिखी खूबसूरत रचनाओं के साथ......
<a href="https://anuradhachauhan.blogspot.com/2020/02/blog-post_28.html">आशा का दीपक (नवगीत)</a>
आशाओं के दीपक से भी,
मन का अँधेरा दूर होता।
मुश्किल से घबराकर कोई,
यूँ कोई होश नहीं खोता।।
<a href="https://www.raagdevran.com/2022/05/blog-post_12.html">बहाना</a>
बेईमान सी कशमकश थी एक मन के अंदर ही अंदर l
क्यों ना मकबरा बना दूँ इसके दीदार के गुजरे सफर ll
फैसला होता कैसे दिलों की कशिश के बहते समंदर l
यादें ही तो एक बहाना थी छूने मधुशाला के समंदर ll
<a href="https://www.shubhrvastravita.com/2020/05/blog-post_30.html">मानवता</a>
अरे ओ पत्थर दिल वालों ।
कभी इनकी भी सुध तो लो ।।
छोड़ कर तूं- मैं तुम अपनी ।
कभी तो जन-सेवा कर लो ।।
संकट से उबरे सब निर्बल ।
दायित्व निबाहो अब मन से ।।
<a href="https://pankajpriyam.blogspot.com/2019/09/664.html?m=1#links">यशोधरा का प्रश्न</a>
यशोधरा का जीवन जी कर देखो,
यूँ रोज जरा सा विष पी कर देखो।
कैसे हमने था तब खुद को संभाला,
कैसे अकेले दुधमुंहे को था पाला।
करती रही खुद से ही खुद मैं युध्द,
आसान बहुत है यूँ बन जाना बुद्ध।
<a href="http://anitaspersonalblog.blogspot.com/2022/05/blog-post.html">कभी जगाया है घर भर को</a>
तू जिसकी धड़कन से परिचित
इक-दूजे को खूब समझती
उस माँ की आँखों का तारा
तुझसे ही जिसका जग सारा
मुस्कानों को देखे तेरी
भर जाता उसका हिया !
<a href="https://rashtrachintak.blogspot.com/2022/04/blog-post.html">सिस्टम को समझने के ताजा तारीन तथ्य</a>
इस सिस्टम से निपटने के लिए हर किसी को आदत डाल लेनी चाहिए। क्योंकि जब तक आप केवल सरकार बनाएंगे तब तक आप कोई भी वैचारिक लड़ाई नहीं जीत पाएंगे लेकिन जिस दिन
आप सिस्टम बनाना शुरू कर देंगे उस दिन आप बड़े से बड़ा वैचारिक युद्ध जीत जाएंगे।
वैसे भी इस सिस्टम के रहते हुए अब इस देश में किसी गजनी, खिलजी, बाबर, औरंगजेब की जरूरत नहीं है जो अयोध्या में राम मंदिर की जगह बाबरी, काशी में विश्वनाथ मंदिर
की जगह ज्ञानवापी, मथुरा में जन्मस्थान से लगाकर मस्जिद खड़ी कर दे, उसके लिए इस देश का सेक्लुरिजम से ग्रसित हिंदू ही काफी हैं....!
धन्यवाद।
दिन भर ब्लॉगों पर लिखी पढ़ी जा रही 5 श्रेष्ठ रचनाओं का संगम[5 लिंकों का आनंद] ब्लॉग पर आप का ह्रदयतल से स्वागत एवं अभिनन्दन...
निवेदन।
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रविवार, 15 मई 2022
3394....हम अधूरे हे परिवार के बिना,
4 टिप्पणियां:
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बहुत बढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआभार..
जवाब देंहटाएंसादर..
साधुवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।
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