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बुधवार, 11 मई 2022

3390..अधीर हैं अभिवादन को तेरे ..

 ।।प्रातः वंदन ।।

"सूर्योदय और

सुबह के साथ चलने वाले,

चलने वाले सूर्य और सुबह के साथ,

हमें भय नहीं रात से,

न ही उदास दिनों से,

न अँधेरे से —

हैं हम सूर्य और सुबह के साथ

चलने वाले..!!"

लैंग्स्टन ह्यूज़ (मूल रचना)

बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ (अनुवाद)

लिजिए प्रस्तुतिकरण के क्रम को आगें बढ़ातें हुए रूबरू होते हैं.. 

कोलाहल हृदय का












 स्वप्न सारे टूट बिखरे
ठेव मन पर जोर लागी‌।
रात भी ढलती रही फिर  
बैठ पलकों पे अभागी
🌸

बारिश पर कविता

पूरवा भी नहीं देती आभास मेघ आगमन का तेरे
पपीहा,मयूर,कोयल अधीर हैं अभिवादन को तेरे ,

किससे भेजूँ पाती तुमको कैसे भेजूँ तुम्हें संदेशा 
रूख से तेरे लगे कहीं न मॉनसून का मेघ अंदेशा
क्यों सज सँवरकर ऐंठी हो मेंह लगाकर काजल
क्यों अनशन पर बैठे खोलो द्वार हृदय के बादल ,
🌸


बचपन से निकलकर जवानी की दहलीज पर कदम रखने
 से पहले ही हिंदुस्तानी युवाओं को चाहे किसी बात का पता चले या न चले लेकिन 
 इस बात का अहसास अच्छी तरह हो जाता है कि सारी दुनिया 
मोहब्बत की दुश्मन  होती है।
  



इमेज गूगल साभार 






हाय ये #गुमराह #गरमी ,

न जाने कितना सतायेगी ,

सुबह भी ठीक से गुजरने न देती ,

भर #दुपहरिया आग लगायेगी ।

नदी सुखाये तालाब सूखाये,

पेड़ पौधे भी सब मुरझाये,

पशु पक्षी भी दर दर भटके ,

कितना हाहाकार मचायेगी

🌸


अबकी बार तुम कितने बदले -बदले से लगते हो...

दुनियां की जंजीरों में तुमने कब बंधना सीखा हैं,

रिश्तों के धागों में कुछ उलझें से लगतें हो

🌸

।। इति शम ।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️

5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर-सार्थक प्रस्तुति के लिए प्रस्तुतकर्ता,आदरणीय पम्मी सिंह 'तृप्ति' 'जी को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं। सभी रचनाकारों को भी शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को मंच पर स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीया।

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय पम्मी मेम मेरी रचना https://deep-007.blogspot.com/2022/05/blog-post.html?m=1 को इस अंक में शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद और आभार ।
    सभी सम्मिलित रचनाएं बहुत ही उम्दा है सभी को बहुत बधाइयां ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं

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