शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अमृता तन्मय जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ।
विश्व को शांति, करुणा और अहिंसा का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध का जन्म वैशाख मास की पूर्णिमा
तिथि को हुआ था। बौद्ध-दर्शन की शिक्षाएँ विश्व कल्याण के विराट विचार को
संप्रेषित करतीं हैं।
गुरुवारीय अंक में पाँच रचनाओं के साथ हाज़िर हूँ।
मन प्रांगण में बसे हैं,
जीवन ज्योति धाम ये।
तिमिर से बाहर निकल,
आशा का दामन थाम ले।
ये स्नेह स्वर कितना अनुरागी है
कि भीतर पूर नत् श्रद्धा जागी है
भ्रमासक्ति थी कि मन वित्तरागी है
औचक उचक हृदय थिरक उठा
आह्लादित रोम-रोम अहोभागी है
कैसा अछूता छुअन ने है पुचकारा?
आह! ये किसकी टेर है, मुझे किसने है पुकारा?
परफॉर्मिंग आर्ट्स की तरह, वाजिद अली शाह ने भी अपनी
अदालत में साहित्य और कई कवियों और लेखकों को संरक्षित किया। उनमें से उल्लेखनीय ‘बराक’, ‘अहमद मिर्जा सबीर’, ‘मुफ्ती मुंशी’ और ‘आमिर अहमद अमीर’ थे, जिन्होंने वाजिद अली शाह, इरशाद-हम-सुल्तान और
हिदायत-हम-सुल्तान के आदेशों पर किताबें लिखीं।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर सूत्रों का संकलन। बुद्ध पूर्णिमा की बधाई!!!
जवाब देंहटाएंव्वाहहहहह...
जवाब देंहटाएंबढ़िया अंक..
आभार..
सादर
बहुत सुंदर, सार्थक रचनाओं से परिपूर्ण अंक ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका आभार।
बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं।
धन्यवाद रवींद्र जी, पांच लिंकों में मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार
जवाब देंहटाएंबुद्ध की प्रबुद्धता का लेशमात्र भी अंश ग्रहण कर सकें तो जीवन के दुख सुख के चक्रों से मुक्त हो जाये।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सारगर्भित,ज्ञानवर्धक और सुंदर सूत्रों से सज्जित अंक में मेरी रचना शामिल करने के लिए अत्यंत आभार आपका।
सादर।
स्वयं अपना दीप बनने के साथ ही हम सुषुप्त पड़े दीपों को भी प्रेम पूर्वक जलाएँ यही हार्दिक कामना है। हार्दिक आभार एवं शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर संकलन
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