हाज़िर हूँ...! पुनः उपस्थिति दर्ज हो...
सार-संक्षेपण की विधि
सार और सारांश दोनों ही शब्द एक रूप में प्रयुक्त होते हैं। प्रायः मूल अवतरण से संक्षेपण एक-तिहाई होता है। इसके लिए सभी शब्दों को गिन कर उनमें तीन से भाग दे दिया जाये और जितनी संख्या आए उतने ही शब्दों में अवतरण का केंद्रीय भाव अपनी भाषा में लिख देना चाहिए।सार लेखन और भाव पल्लवन में क्या अंतर है ? लेखे को अपने भावों का मूर्त रूप देने के लिए नए-नए प्रयोगों, नए-नए विशेषणों, कल्पनाओं, पदबंधों, मुहावरों लोकोक्तियों, शब्दशक्तियों, अंलकारों एंव सुक्तियों आदि का सहारा लेना पड़ता है। रामायण का सार है गायत्री मंत्र
दर्दे-दिल
दर्दे दिल की दवा जहाँ में,कहीं नहीं है मिलती।
सूख गई जो कली प्यार में,कभी नहीं फिर खिलती।
दर्द समन्दर जैसा भी जो,हँसकर सहता जाए।
हँसने और हँसाने को वो,कविता कहता जाए।
ललित किशोर 'ललित
सदाबहार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
सादर नमन
पल्लवन विविध प्रारूप, ज्ञानवर्धक और सूत्र संयोजित करने का बेहद सराहनीय आपका यह अनूठा ढंग ,,अतुलनीय प्रस्तुति दी।
जवाब देंहटाएंविषय को गहनता से समझने के लिए सूत्रों को दुबारा पढ़ेंगे।
प्रणाम दी
सादर।
अनोखा अंक ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को सम्मान देने के लिए आप सबका हृदय से आभार
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