।।प्रातः वंदन ।।
"हमने अपने इष्ट बना डाले हैं चिन्ह चुनावों के
ऐसी आपा धापी जागी सिंहासन को पाने की
मजहब पगडण्डी कर डाली राजमहल में जाने की
जो पूजा के फूल बेच दे खुले आम बाजारों में
मैं ऐसे ठेकेदारों के नाम बताने आया हूँ |
घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ"
हरिओम पंवार
हिंदी साहित्य के वीर रस के सुप्रसिद्ध कवि आ० हरिओम पंवार जी के 71 वीं जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ..
चलिए प्रस्तुतिकरण के क्रम को बढाते हुए ..✍️
टूटे सपने
स्नेह की डोर (लघुकथा)
साथ - साथ गिरते - दौड़ते, चौकड़ी भरते दोनों पिछले दो फागुन से एक दूसरे के जीवन मेंअपने स्नेह और अपनापन का रंग भर रहे थे। यह देख-महसूस कर उसका बाल मन अघा जाता कि पिता ने भी उन दोनों पर अपने प्राण निछावर कर दिए थे। ..
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कुछ हो अनूठा कुछ नवल हो
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अतरंगी है तेरा इश्क ,
ज़िस्मानी से रूहानी ,
काले से सफ़ेद तक ,
हर रंग में सजा है तेरा इश्क ...
हाँ, सतरंगी है तेरा इश्क |
कभी हरे रंग में भीग
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लाखों क़िस्म के दायरे हमने बनाए हैं
लाखों क़िस्म के दायरे हमने बनाए हैं
अपने उसूल-औ-ख़्वाब के द्वीप बनाए हैं
नग़मे भी चाँदनी के, कुर्बत भी चाँद की बस चाँद, चाँद, चाँद ही हमको लुभाएँ है
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'
बेहतरीन अंक
जवाब देंहटाएंआभार..
सादर..
सुंदर सराहनीय अंक ।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार पम्मी जी ।
उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर शानदार अंक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहरिओम पंवार जी के जन्मदिन की उनको शुभकामनाएँ पहुँचें ।
जवाब देंहटाएंदिए हुए सभी लिंक्स पर पहुंच उपस्थिति दर्ज करा आये हैँ । उम्दा चयन ।।
वीर रस के प्रवाचक और अपनी वाणी की ओज से देशभक्ति का उद्घोष स्वरित करने वाले परम आदरणीय हरि ॐ पवार जी के अवतरण दिवस पर उनको नमन एवं शुभकामनाएँ तथा इस अवसर पर आज की इस सुंदर प्रस्तुति के लिए आज की चर्चाकार आदरणीय पम्मीजी को सादर आभार!!!
जवाब देंहटाएंवाह!शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
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