सब लोग एक विषय का
एक ब्लॉग ले कर आएँगे
तो.....
हमारे पाठकों की रचना को
हम किसे पढ़वाएँगे....
सखी श्वेता वैष्णव देवी की यात्रा पर हैं.....
आज की चुनिन्दा रचनाएँ.....
मधुऋतु...शान्तनु सान्याल
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एक अजीब सी लाजवंती कशिश है
हवाओं में, फिर खिल उठे हैं
पलाश सुदूर मदभरी
फ़िज़ाओं में।
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साँझ हो गई.....साधना वैद
साँझ हो गई
लौट चला सूरज
अपने घर
उमड़ पड़ा
स्वागत को आतुर
स्नेही सागर
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एक बार की विदाई....रश्मि शर्मा
साँझ के झुटपुटे में
छाये की तरह
फैलती है उम्मीद
पाँव का महावर
ईर्ष्यादग्ध है अब तक
उसके अधर आलते से
फागुन में उस साल...रेणुबाला
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फागुन मास
में उस साल -
मेरे आँगन की क्यारी में ,
हरे - भरे चमेली के पौधे पर -
जब नज़र आई थी शंकुनुमा कलियाँ
पहली बार !
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क्षणिकाएं......सुधा सिंह
यूँ तो हीरे की परख,
केवल एक जौहरी ही कर सकता है
पर
आजकल तो जौहरी भी,
नकली की चमक पर फिदा हैं
कलयुग इसे यूँ ही तो नहीं कहते...
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कुछ लाइने लिखने वालों के नाम...प्रियंका"श्री"
कहने वाले तो इन्हें
पागल भी कहते है,
पर ये ऐसे मानव है
जो दूसरों के दुख से
सीधे जुड़े होते है।
इसलिए तो लेखक एक
भावपूर्ण इंसान होते है।
उलूक टाईम्स का रिप्रिन्ट
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नहीं सोचना है
सोच कर भी
सोचा जाता है
बंदर, जब उस्तरा
उसके ही हाथ में
देखा जाता है
पर हमेशा एक
योग्य व्यक्ति
अपने एक प्रिय
बंदर के हाथ में
ही उस्तरा
धार लगा कर
थमाता है
आज बस....
आज्ञा दें यशोदा को
सादर
आदरणीया ,प्राकृतिक रंगों की छटा बिखेरता सुंदर लिंक संयोजन ।
जवाब देंहटाएंसादर
शुभ प्रभात।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतीकरण। फगुनिया रंग का एहसास कराती रसमय प्रस्तुति। इस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर दीदी
जवाब देंहटाएंअच्छा किया...
कम से कम हमारी रचनाओं को स्थान तो मिलेगा
नए ब्लॉगरों के लिए शुभ है
आदर सहित
बहुत मनोरम सूत्रों से सुसज्जित आज की प्रस्तुति ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से आभार यशोदा जी ! स्नेहिल सुप्रभात !
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स यशोदा जी सदा की तरह
जवाब देंहटाएंसब लोग कुछ ना कुछ लाते रहें। कारवाँ चलता रहे। नये लोग जुड़े नये रास्ते बनें। शुभकामनाएं। आभार 'उलूक' के प्रवचनों को जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतीकरण।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
बेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनायें
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुतिकरण. सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
आदरनीय यशोदा दीदी -- फागुन के रंगों के साथ उलूक के व्यंग का रंग कुछ ज्यादा ही आह्लादित कर गया | और आपने रचना से ऐसी पंक्ति उठाई जो रचना की जान है | आदरणीय सुशील के इस बिना लागलपेट वाले लेखन की प्रशंसक हूँ | छोटी सी सार्थक भूमिका | एक विषय को लेकर विभा दी की अपनी अदा है | हररोज तो नहीं पर कभी - कभी एक रंग पढ़ना अच्छा लगता है |आज का अंक भी एक रंग नहीं कह सकते हाँ फागुन खूब चटक रंग में रंगा है | सभी साथी रचनाकारों को हार्दिक बधाई देती हूँ | मेरी रचना को स्थान देने के लिए ह्रदय तल से आभारी हूँ | आपको संयोजन के सफल प्रस्तुतिकरण की हार्दिक बधाई | रंगों के मेले यूँ ही सजते रहें | सस्नेह शुभकामना ----------- |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स का संकलन |मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सहित धन्यवाद |
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