ऋतुओं का बदलना स्वाभाविक है
पर बसंती बेला में आज का दिन
काव्यात्मक और अध्यात्म का
अनूठा संगम है। ये भी
सही है कि..
वक्त कितना भी बदल जाए
पर इंसान का मशीनीकरण अब भी मुश्किल..
तव्वजों हम आज भी भावनाओं, अपेक्षाओं और आत्मिक आन्नंद की अनुभूति की ही करते हैं।
तरीका महाशिवरात्रि की आराधना हो या
आधुनिक इजहार-ए-मोहब्बत की..
इस विषय पर यहीं थमते हुए बढतें हैं
चर्चा की ओर जो
आज के लिंक में शामिल है ..✍
ब्लॉग मुखरित मौन से..
ख़ुशबू
साँसों से नहीं जाती है जज़्बात की ख़ुशबू
यादों में घुल गयी है मुलाकात की ख़ुशबू
चुपके से पलकें चूम गयी ख़्वाब चाँदनी
तन-मन में बस गयी है कल रात की ख़ुशबू
ब्लॉग कौशल से..
''गूंजे कहीं शंख कहीं पे अजान है ,
बाइबिल है ,ग्रन्थ साहब है,गीता
का ज्ञान है ,
दुनिया में कहीं और ये
मंजर नहीं नसीब ,
दिखलाओ ज़माने को ये हिंदुस्तान है .''
ऐसे हिंदुस्तान में जहाँ आने वाली
पीढ़ी के लिए आदर्शों की स्थापना और प्रेरणा यहाँ के मीडिया का पुनीत उद्देश्य
हुआ करता था .स्वतंत्रता संग्राम के
ब्लॉग .नई क़लम - उभरते हस्ताक्षर से खूबसूरत रचना..
यूँ तो हर पेड़ पे डालें हज़ारों है निकली
टूट के कोई पत्ता जो गिर जाये तो तेरी याद आये
कितने फूलों से गुलशन है ये बगिया मेरी
भंवरा इनपे जो कोई मंडराये तो तेरी याद आये
ब्लॉग चिकोटी से..व्यंग्यात्मक रचना...
मेरा नाम 'ए' से होने के बावजूद मेरी कोशिश यही रहती थी कि क्लास में मैं चौथी या छठी बैंच पर ही बैठूं। बैठता भी था। इसके दो फायदे मुझे मिल जाया करते थे: पहला, टीचर की निगाह मुझ पर आसानी से नहीं पड़ती थी। दूसरा, याद न करने के कारण टीचर को
ब्लॉग उम्मीद तो हरी है से..
कपास के जंगल से उड़कर
असुंदर,रंगीन गुदगुदा गोला
युद्धरत आदमियों के बीच गिरा
झुर्रीदार चमड़ी और
धधकती आंखों ने
सजाकर, संवारकर
सहमे सिसकते बच्चों के बीच बैठा दिया
बच्चों ने अपनाया, पुचकारा और बहुत चूमा
ब्लॉग मन पाए विश्राम जहाँ से..
कैसे कहूँ उस डगर की बात
चलना छोड़ दिया जिस पर
अब याद नहीं
कितने कंटक थे और कब फूल खिले थे
पंछी गीत गाते थे
◈
जाते - जाते
रिश्तों का मौसम में रिश्तों को सहेज रखना..
।।इति शम ।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍
चलिए अब बारी है हम-क़दम के
छठवें क़दम की ओर
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम छठवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:::: खलल ::::
उदाहरणः
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अंधेरे में निकल पड़ता हैं
मैं समंदर हूँ कुल्हाड़ी से नहीं कट सकता
कोई फव्वारा नही हूँ जो उबल पड़ता हैं
कल वहाँ चाँद उगा करते थे हर आहट पर
अपने रास्ते में जो वीरान महल पड़ता हैं
ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं मगर दिल अक्सर
नाम सुनता हैं तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं साँसों ज़रा धीरे चलो
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
-राहत इंदौरी
आप अपनी रचना शनिवार 17 फरवरी 2018
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 19 फरवरी 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारे पिछले गुरुवारीय अंक
11 जनवरी 2018 का अवलोकन करें
शुभ प्रभात सखी
जवाब देंहटाएंस्वाभाविक है
बदलना...
पर गए हुए की
वापसी पर
हम परेशान हैं
लगातार तीन दिनों से
रायपुर में
बारिश हो रही है
पता नही...क्या होगा
क्यों रो रहा है आसमान
लगाइए नज़ूम
बताइए हमें
.......
एक अच्छी प्रस्तुति सखी
सादर
लाजवाब प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन..
जवाब देंहटाएंप्रेम दिवस पर रंगोली सज गई
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम् पम्मी जी,
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर समसामयिक भूमिका के साथ सरहानीय प्रस्तुति आज के अंक की।
सारी रचनाएँ बहुत अच्छी लगी। रचनाओं के इस गुलदस्ते में मेरी रचना को स्थान देने के अत्यंत आभार आपका।
सभी साथी रचनाकारों को बहुत बधाई।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति पम्मी जी।
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंसाथी रचनाकारों को बधाई।
प्रेम के इन्द्रधनुषी रंगों से सजी हलचल में मुझे शामिल करने के लिए शुक्रिया..सभी रचनाकारों को बधाई !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति, मुझे यहां स्थान दिया हार्दिक धन्यवाद पम्मी जी
जवाब देंहटाएंपम्मी जी लाजवाब प्प्रस्तु हर रचना अपने अंदाज मे शानदार
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों क हार्दिक बधाई।
बेहतरीन सम सामयिक प्रस्तुति. आदरणीया पम्मी जी को बधाई. विविधता का कुशलतापूर्वक संयोजन परिलक्षित हो रहा है आज की प्रस्तुति में.
जवाब देंहटाएंइस अंक में चयनित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
प्रिय पम्मी जी -- सुंदर लिंक संयोजन के बासंती मेला खूब रहा |प्रेम पर्व और महाशिरात्री का एक ही दिन आना आध्यात्मिक और सांसारिक प्रेम के अद्भुत संगम का संयोग है | सभी साहित्य मित्रों को हार्दिक शुभकामनाये और बधाई | आज के सभी चयनित रचनाकार बधाई के पात्र हैं | आपको हार्दिक बधाई और शुभ् कामनाएं | |
जवाब देंहटाएंखूबसूरत लिंक संयोजन ! बहुत सुंदर आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंhttps://mayankkvita.blogspot.in/2017/08/blog-post_33.html
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