सादर
अभिवादन
आज लीक से हटकर
आपको नये अनुभव की
ओर ले चलते हैं। ब्लॉग जगत् की
पाँच लोकप्रिय रचनाओं को आज के अंक में
प्रस्तुत किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को ज़ारी रखा
जायेगा। इस अंक का अर्थ यह कदापि न निकाला जाय कि
प्रस्तुत रचनाएँ ही अधिक लोकप्रियता हासिल करने में
कामयाब रही हैं। सुधि पाठक हमारी पहुँच से दूर
श्रेष्ठ एवं लोकप्रिय रचनाओं की ओर हमारा
ध्यान आकृष्ट करा सकते हैं। उम्मीद है
आप अतीत में लौटकर
चिंतन अवश्य करेंगे
कि उन वर्षों में
क्या लिखा जा
रहा था।कुछ
रचनाओं के
विषय
सर्वथा प्रासंगिक बने रहते हैं।
आजकल
जीवन मूल्यों के
विस्थापित और स्थापित
होने की प्रक्रिया तीव्र हो गयी है।
लेकिन जिन औरतों को , इसमें जबरदस्ती शामिल किया जाता है उन
पर ,क्या बीतती होगी.... ? हम-आप कल्पना भी नहीं कर सकते..
जो ओरतें ,अपनाशरीर अपने मर्जी या मजबूरी में बेचने का धंधा करती
है ,उसे हमारा समाज बुरा - भला बोल,उसका बहिष्कार करती है....
इन कलयुगी राम का हम-आप क्या करें...... ?
पहले तो एक दो किस्से सुनने-देखने को मिलते थे
अब तो आम - बात होती जारही है..... |
हम सबके भीतर ,
एक हरिण जिन्दा है !
जानता है यथार्थ ,
खुदसे / शर्मिंदा है !
आंसू पोंछते हुए कमली बोली-“मेम साहब यहाँ से घर जाने
पर मेरा भी मन नहीं लगा। बार-बार आपका रोता हुआ चेहरा
और टी-पाट आँखों के आगे नाचता रहा। फिर मैं उठ
गयी मन में सोचते हुए कि ये अच्छा नहीं हुआ।मैंने कुछ पैसे
इकट्ठे किये थे।उन्हें लेकर बाजार गयी और फिर जो अच्छा लगा
पैकेट में बंधवा लिया। कहते हुए वह थोडा रुकी।
तब तक उज्ज्वला बोल पड़ी—“अरे हाँ ये तुमने मुझे काहे का
पैकेट दिया है और किस लिए दिया ? जबकि न तो आज
मेरा या उनका जन्मदिन है।न ही कोई और कारण ।
तू बता तो इसमें है क्या?”
''सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ,
जिंदगानी गर रही तो, नौजवानी फिर कहाँ"
ये पंक्तियां मुझे भी कुछ सुकूं भरे पल तलाशने के लिए
उकसाती रहती है। ऐसी ही एक कोशिश मेरी पिछले माह
काठमांडू की यात्रा की रही। जिंदगी फिर उसी ढर्रे पर लौट
आई है। इस यात्रा को याद कर ढर्रे से थोड़ा दूर जाना चाहती हूँ।
सब फ़रिश्ते सफर में भटकते रहे
और सियासत में ज़ालिम सँवारा गया।
एक बेटी तरसती रही उम्र भर
प्यार, बेटे के हिस्से में सारा गया।
चलिए अब बारी है
सभी के लिए
एक खुला मंच
आपका हम-क़दम
सातवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
...........यहाँ देखिए...........
आज के लिए बस इतना ही। मिलते हैं फिर अगले गुरूवार।
कल आ रही हैं श्वेता जी अपनी प्रस्तुति के साथ।
रवीन्द्र सिंह यादव
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंसराहनीय क़दम
अच्छी कविताएँ
साभार
सादर
सस्नेहाशीष संग आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुतीकरण
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई
बहुत सुंदर संकलन..सराहनीय कदम।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ
धन्यवाद।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुतिकरण...
बहुत सुन्दर उम्दा लिंक संकलन ,सुन्दर प्रस्तुतिकरण...
जवाब देंहटाएंसारी रचनाएं इतनी मेहरबान रहीं कि दिल तक उतर गयीं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
सादर
बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसादर
http://www.hindisuccess.com/2018/01/jivan-jeene-ke-do-pahloo-hindi-story/