शेयर बाज़ार की सेहत लगातार चितांजनक होती जा रही है।
पिछले मंगलवार निवेशकों के 5 लाख 40 हज़ार करोड़ रुपये
चुटकियों में डूब गये जिनकी भरपायी नामुमकिन है. आम राय
यह बना दी गयी कि यह नुकसान बज़ट के कारण हुआ है
जबकि इसके कुछ ठोस बाहरी कारक भी हैं। क्रेडिट रेटिंग
एजेंसियों के आंकलन और वैश्विक अर्थ व्यवस्था भी शेयर बाज़ार
को कुछ इसी तरह प्रभावित करते हैं। सरकार द्वारा शेयरों के
ज़रिये लम्बी अवधि के निवेश से होने वाली आय पर 10 प्रतिशत
टैक्स लगाने की घोषणा ने आग में घी का काम किया।
और शिक्षकों पर हमले और मौत की ख़बरें हैं जो हमें परेशान
कर रही हैं। समाज में हिंसा के प्रति नवोदित पीढ़ी का
बढ़ता रुझान ख़तरनाक है।
मौजूदा माहौल पर आक्रोश की अभिव्यक्ति के साथ उपस्थित हैं आदरणीया सुधा सिंह जी अपनी सम सामयिक रचना के साथ -
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हमारे जीवन को प्रभावित करते विविध बिषयों पर लिखती हैं
आदरणीया अपर्णा जी। पेश है उनकी एक बेहतरीन रचना-
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आदरणीया अनीता जी आपसे रु-ब-रु हैं अपनी प्रासंगिक रचना के साथ -
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ज़िन्दगी बीत जाती है उसे समझने में और उससे जुड़े अंतर्विरोधों का विश्लेषण करते-करते। आदरणीया डॉ.अपर्णा त्रिपाठी जी की
एक और सार्थक रचना आपकी नज़र -
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आजकल देश की सरहद पर सैनिकों की शहादत हमें विचलित
कर रही है। पाकिस्तान की नफ़रतभरी हरकतें युद्ध जैसा
माहौल तैयार कर रही हैं।
सैनिकों के घरों में पसरे मातम पर आदरणीय जसवाल साहब की
एक भावविह्वल करती रचना आपकी सेवा में -
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छाती पीट रही क्यों पगली, अभी कर्ज़ यम के बाकी हैं,
कुछ ख़ूनी जामा पहने हैं, पर कुछ के कपड़े ख़ाकी हैं।।
आदरणीय जोग साहब के फोटो-ब्लॉग सारगर्भित जानकारी तो देते ही हैं साथ ही
उनमें नवीनता और रोचकता का समावेश बख़ूबी अपनी छटा बिखेरता है।
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ग्रहों और वृक्षों में क्या नाता है ये ना तो मालूम था ना ही कभी
की नवग्रह होते हैं :
1. सूर्य, 2. चन्द्र, 3. मंगल, 4. बुध, 5. गुरु, 6. शुक्र, 7.
शनि, 8. राहू और 9. केतु.
आदरणीय अमित जी अपनी विशिष्ट काव्य शैली के लिए ब्लॉग जगत् में जाने जाते हैं। नई कविता का कलात्मक एवं भावात्मक सौंदर्य परखने के लिए प्रस्तुत हैं उनकी एक अप्रतिम कृति-
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इस बार
लेना चाहता था
सो उसने
ख़ूब सोच समझ कर
प्लास्टिक पैदा कर दिया
और लगा इंतज़ार करने
अपनी योजना के
परवान चढ़ने का
कुटिल मुस्कान के साथ.
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कब तक उठाएँ गे हम बोझ जीवन का
हमारा नया कार्यक्रम
हम-क़दम ।
...यह चित्र
परिलक्षित हो रहे दृष्यों को आधार मानकर
आपको एक कविता लिखनी है-
उदाहरणः
अपनी प्रस्तुति में नये रंगों के साथ।
शुभ प्रभात भाई
जवाब देंहटाएंएक चिन्तनीय विषये से शुरुआत
दिन तो सही बीतेगा न
व्हेलेन्टाईन करीब है
थोड़ा रूमानी विषय की भूमिका होती तो...
वसंत को वासन्ती बनाइए...बाकी मीडिया वाले हैं न
सादर
सुप्रभातम् रवींद्र जी,
जवाब देंहटाएंबेहद गंभीर,मननशील भूमिका में आपने देश और समाज के चिंतनीय और विचारणीय विषयों को रखा है। समाज में गिरते मूल्य सच में गंभीर है।
सभी रचनाएँ बहुत सारगर्भित और सुंदर है।
बहुत सुंदर संयोजन आज के अंक का आपके खास अंदाज़ में प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी। सभी चयनिय रचनाकारों को बहुत शुभकामनाएँ मेरी।
लाजवाब प्रस्तुति चिंतन का विषय जो अब गले का फंदा बन गया।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
'नवग्रह वृक्ष' को शामिल करने के लिए धन्यवाद रविन्द्र.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संयोजन..
जवाब देंहटाएंआज के अंक विचारणीय है अलग अंदाज़ में प्रस्तुति बहुत अच्छी ..सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
धन्यवाद।
लाजवाब प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर संकलन |बधाई यादवजी |
जवाब देंहटाएंबहुता अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुंदर हलचल प्रस्तुति . मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रवींद्र जी
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंआदरणीय रविन्द्र जी -- आज के लिंकों का आन्नद लिया | आपके लिंक संयोजन की प्रशंसक हूँ | सभी रचनाएँ बेहतरीन चुनी आपने | आदरणीय गोपेश जी की रचना सुबह पढ़ी थी -- पर अब ब्लॉग पर नहीं मिली | लिखना चाहती हूँ ---
जवाब देंहटाएंराजनीति की बातें छोड़ो - किसी शहीद के घर जा देखो -
देखके दिल थर्रायेगा - आँगन के सन्नाटे जा देखो |
आशा है गोपेश जी जरुर बात का मर्म समझेंगे | सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई | और उत्तम संयोजन के लिए आपको बहुत- बहुत बधाई | सादर --
बहुत सुन्दर संकलन!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए अनेक धन्यवाद यादव जी:)