सादर अभिवादन...
आज हम एक नए ब्लाग से परिचय करवा रहे हैं
शुद्ध हिन्दी और उत्कृष्ट साहित्य के लिए जाने जाते हैं
श्री महेश रौतेला...
चलिए, अवलोकन करें मनन करें
कविता
ओ वसंत
मैं फूल बन जाउँ
सुगंध के लिए ,
ओ आसमान
मैं नक्षत्र बन जाउँ
टिमटिमाने के लिए,
कविता
कोटि-कोटि हृतंत्री लय
एकतंत्रीय,अहं से लथपथ
खड़े उसके जीवन खंडहर
हृदय में कृमि, कंकण,
काट रहे ज्योति जिह्वा
वह अकेला जनता ने पाला ।
उदारता कोटि-कोटि जन मन की
क्यों करती उसकी अहं तुष्टि ?
जब वह नहीं समझता,
कविता
गरीब
इस मँहगाई के साथ
कैसे चलता होगा,
कैसे हँसता होगा,
कैसे रिश्ते निभाता होगा,
कैसे उजाला देखता होगा,
कविता
हम कहते रहेंगे-
अपनी शुद्धता
प्रेषित करते रहेंगे,
सत्यता जो
आदि से अन्त तक
निकलती-डूबती
आशा-आकांक्षों में
कविता
बात तुम्हारे पास पहुँच कर,
क्यों सन्नाटा कर देती है,
प्यार तुम्हारे पास पहुँच कर,
क्यों आँसू में घुल जाता है,
दृष्टि तुम्हारी मिल जाने पर,
क्यों खलबली सी मच जाती है,
कविता
या शब्दों के बाहर हो,
हमारी मुलाकातों में
कितनी अब रौनक है?
खिड़की कहाँ खुलती है
दरवाजा कब लगता है?
हमारी मुलाकातों के
किस्से कब कहे जाते हैं?
कविता
उठो, अपने प्यार के लिये उठो
जैसे माँ उठती है,
बहो, अपने प्यार के लिये बहो
जैसे नदी बहती है,
चलो, अपने प्यार के लिये चलो
जैसे हवा चलती है,
कविता
धरती रुकी नहीं है
सूरज ठहरा नहीं है
फसल का उगना बंद नहीं हुआ है
प्यार के किस्से सोये नहीं हैं
साथ की बातें जमी नहीं हैं,
कविता
पानी ज़िन्दा लगता है
समुद्र में चलते
उछलते-कूदते, गरजते,
उड़ते हुए, ओस में ढलते
बर्फ़ बनते, बादलों में सरकते
ज़िन्दगी को गीला करते
......
आज ये नया ब्लॉग आपकी अदालत में...
इति..
आत्म कथ्यः
देवी जी के कुछ साथी आज शाम आ रहे हैं
वे सब कैंसर के मरीज रह चुके हैं
वे सब एक साथ एक ही रिसर्च यूनिट के हैं
वे देवी जी का जन्म-दिन मनाने के लिए
देश के विभिन्न शहरों से हैं...
सो व्यस्तता बनी रहेगी...
सादर
...
आदरणीय भाई रौतेला जी
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक अभिन्दन स्वागत
लाजवाब लेखन
नवलेखकों के निए एक मिसाल
सादर
हमारी उपस्थिति भी महसूस की जाए
जवाब देंहटाएंटिप्पणी के लिए धन्यवाद।
हटाएंवाह बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
हटाएंआदरणीय बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनए ब्लॉग का परिचय बहुत अच्छा लगा
अक्सर अच्छा लिखने के बावजूद ब्लॉग
लोगों तक नहीं पहुँचते और रचनाएँ
प्रतिक्रिया की प्रतिक्षा में रह जाती है
ऐसे समय में आप की यह पहल बहुत अच्छी लगी
बहुत-बहुत धन्यवाद।
हटाएंसुप्रभातम् आदरणीय सर,
जवाब देंहटाएंहमारे लिए अपरिचित आदरणीय महेश जी की रचनाएँ बहुत अच्छी लगी।
दी को बहुत सारी शुभकामनाएँ ख़ुशियों से भरे दिन की।
सादर।
बहुत बढिया ..
जवाब देंहटाएंनए ब्लॉग से परिचय कराने के लिए धन्यवाद।
बचपन फिर ना लौटेगा
जवाब देंहटाएंवो बचपन की किलकारियां
ना कोई दुश्मन ना यारियां
सर पे ना कोई ज़िम्मेदारियाँ
वो मासूम सी होशियारियाँ,
वो बचपन फिर ना लौटेगा !
वो धूप में नंगे पाँव दौड़ना
कभी कीचड़ में लौटना
ना हारना ना कभी थकना
कभी बे वजह मुस्कुराना,
वो बचपन फिर ना लौटेगा !
गली गली बेवजह दौड़ना
खिलोने पटक कर तोड़ना
टूटे खिलोने फिर से जोड़ना
छोटी छोटी बात पर रूठना,
वो बचपन फिर ना लौटेगा !
कभी मिटटी के घर बनाना
घरों को फिर मिटटी से सजाना
कभी दिन भर माँ को सताना
फिर माँ की छाती से लिपट सो जाना,
वो बचपन फिर ना लौटेगा
हाँ !! वो बचपन फिर ना लौटेगा
आदरणीय महेश रौतेला जी की सभी रचनाएँ पढ़ीं। यह देखकर आश्चर्य व खेद हुआ कि इतना अच्छा लिखने वाले लेखक 2017 मार्च के बाद ब्लॉग पर सक्रिय नहीं। उनकी कविता 'बात तुम्हारे पास पहुँचकर' बहुत ही अच्छी लगी। सादर।
जवाब देंहटाएंशुभ संध्या सखी
हटाएंवे सक्रिय हैं....
प्रतिक्रियाओं का उत्तर दे रहे है
उनकी रचनाएँ कई पत्रिकाओं मे छपी है
त्रैमासिक ई-पत्रिका सें नियमित लेखक हैं
हम सोए हुए शेर को जगाने का प्रयास कर रहे हैं
सादर
शुभ संध्या सखी
हटाएंवे सक्रिय हैं....
प्रतिक्रियाओं का उत्तर दे रहे है
उनकी रचनाएँ कई पत्रिकाओं मे छपी है
त्रैमासिक ई-पत्रिका साहित्यकुंज में नियमित लेखक हैं
हम सोए हुए शेर को जगाने का प्रयास कर रहे हैं
सादर
आदरणीय रौतेला जी हम लोगों के लिए मार्गदर्शक हैं। उनका लेखन हम सब के लिए मिसाल है। इतनी विविधता और इतना गहरा लेखन। सादर नमन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक रचनाएं ....
जवाब देंहटाएंआदरणीय रौतेला जी को ढेर सारी शुभकामनाएं....