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मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018

956....आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता


जय मां हाटेशवरी.....
आप सभी का स्वागत है.....
भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसान लगता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं की भीड़ हमेशा सही रास्ते पर चलती है| अपने रास्ते खुद चुनिए क्योंकि आपको आपसे बेहतर और कोई नहीं जानता|
अब पेश है आज के लिये मेरी पसंद....


दुआओं का असर होता दुआ से काम लेता हूँ
मुझे फुर्सत नहीं यारों कि माथा टेकुं दर दर पे
अगर कोई डगमगाता है उसे मैं थाम लेता हूँ
खुदा का नाम लेने में क्यों मुझसे देर हो जाती
खुदा का नाम से पहले ,मैं उनका नाम लेता हूँ


बड़ा सा कार्पेट
सुबह मृणाल ज्योति जाना था और दोपहर को एक और सदस्या के लिए उपहार लेने बाजार. दोपहर को लेखन कार्य. शाम को क्लब के काम से एक सदस्या के घर जाना था, वहाँ से  क्लब. लौटकर देर हो गयी थी, सो रात्रि भोजन में दिन के बचे मूली के साग का परांठा ही खाया. जून कल आ रहे हैं. कल शाम से फिर दिनचर्या नियमित हो जाएगी. आज उनका फोटो अख़बार में छपा, गोहाटी में जो कांफ्रेस हुई थी उसी सिलसिले में. सभी ने बधाई दी.
सितम्बर का अंतिम दिन ! सुबह एक सखी का फोन आया, उन्हें क्लब में एक कार्यक्रम का आयोजन करना है जिसमें विभिन्न स्थानीय फैशन डिजाइनर तथा महिला दुकानदार अपने वस्त्रों के स्टाल लगायेंगे. बड़े हॉल में लगभग बीस मेजें लगवानी हैं और वस्त्र टांगने के लिए स्टैंड आदि लगवाने हैं. इसका विज्ञापन भी देना है. परसों से योग कक्षा की शुरूआत भी करनी है. अभी-अभी एक निमन्त्रण संदेश लिखा है उसने, जो व्हाट्सएप के जरिये सभी को भेजना है. उसने सोचा एक बार सेक्रेटरी को दिखा लेना ठीक रहेगा. परसों के लिए कुछ सामान भी खरीदना होगा. प्रसाद के लिए मूंग साबुत दाल, काबुली व काले चने, एक नारियल, एक दीपक, अगरबत्ती और कागज की प्लेट्स. कुछ फूल भी ले जाने हैं.


रुसवाई
 कहीं बहकर ये फिर कोई राज न खोल दे
 मेरी रुसवाई  में इनका भी बड़ा हाथ है.


मन ! तू अपना मूल पिछान
है किन्तु एकाग्रता का अभाव होने के कारण इसका प्रभाव क्षणिक ही रहता है. जब तक साधक ध्यान के अभ्यास द्वारा मन के पार जाकर स्वयं को निराकार रूप में अनुभव नहीं कर लेता उसका मन आकुल रहता है. एक बार अपने भीतर अचल, विराट स्थिति का अनुभव उसे जीवन की हर परिस्थिति को सहज रूप से पार करने की क्षमता दे देता है.


मराम अल-मासिरी की कविताएं
और रिफ्यूजी कैम्पों में
वह आई निर्वस्त्र.
पैर कीचड़ में सने हुए
हाथ ठण्ड से फटे हुए
लेकिन वह आगे बढ़ती रही.
वह चलती रही
उसके बच्चे झूल रहे थे उसकी बाहों में
जब वह भाग रही थी नीचे गिर गए वे
कष्ट से रो पड़ी वह
लेकिन आगे बढ़ती रही.
उसके पाँव टूट गए
लेकिन वह आगे बढ़ती रही
उन्होंने गर्दन रेत दी उसकी
लेकिन वह गाती रही
एक बलत्कृत औरत के
सीरिया की जेल में जन्में बेटे ने कहा
मुझे एक कहानी सुनाओ माँ.



साक्षात्कार ब्रह्म से ...
हालांकि मुश्किल नहीं उस लम्हे में लौटना   
पर चाहत का कोई अंत नहीं 
उम्र की ढलान पे 
अतीत के पन्नों में लौटने से बेहतर है 
साक्षात ब्रह्म से साक्षात्कार करना 


हाईकू
प्रश्न ही प्रश्न
दिखाई दिए स्वप्न
उत्तर नहीं
क्या आवश्यक
सब  हल करना
ना हुए तो क्या

आज बस इतना ही.....
धन्यवाद।
 क़दम हम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम आठवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
:::: उदास ::::
उदाहरणः
जब कभी उकेर लेती हूँ तुम्हें 
अपनी नज़्मों में !

आँसुओं से भीगे 
गीले, अधसूखे शब्दों से!!

सूख जायेंगी गर कभी 

आप अपनी रचना शनिवार 03 मार्च 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक 05 मार्च 2018  को प्रकाशित की जाएगी । 
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारे पिछले गुरुवारीय अंक 















11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात भाई कुलदीप जी
    बेहतरीन शुरुआती पंक्तियाँ
    सभी रचनाएँ बेहतर है
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. एक शानदार प्रस्तुति लेकर आये हैं भाई कुलदीप जी. बधाई.
    प्रेरक पंक्तियों से प्रस्तुति का आरंभ मनमोहक लगा. सार्थक चर्चा के लिये ऐसा आवश्यक भी माना जाता है.
    एक से बढ़कर एक रचनाओं का कौशलपूर्ण चयन.
    इस अंक में सम्मिलित सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
    हम-क़दम का अगला बिषय बहुत आकर्षक है . उम्मीद है रचनाकार इस बिषय पर अपनी रचनाधर्मिता की खुलकर अभिव्यक्ति करेंगे.
    हम-क़दम हमारा(पाँच लिंकों का आनन्द) एक प्रयास है जिसके माध्यम से हमारा-आपका जुड़ाव और अधिक प्रगाढ़ हुआ है. अब तक का हमारा अनुभव यही है कि आपका यह कार्यक्रम अब लोकप्रियता की ओर बढ चला है.

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर लिनक्स सभी ...
    आभार मेरी रचना को स्थान देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  4. सही कहा है आपने, निज राहों का सृजन किये बिना आत्मसंतुष्टि नहीं मिल सकती, विविधरंगी विषयों का परिचय देते सूत्रों से सजी है आज की प्रस्तुति, आभार मुझे भी इसका हिस्सा बनाने के लिए.

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह!!खूबसूरत संयोजन । सभी रचनाएँ लाजवाब ।

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रभावशाली भूमिका के साथ सुंदर लिंकों का चयन..
    सभी रचनाएँ लाजवाब ।
    धन

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  9. बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय कुल्गीप जी ब-- हुत ही मर्मस्पर्शी अंक लगा आज का | हालाँकि समयाभाव के कारण सभी रचनाएँ अभी सिर्फ नजर भर देखि है उनपर लिख नहीं पति हूँ | सबसे भावपूर्ण लगी '' मराम अल-मासिरी की कविताएं '' जिनको खोजने के लिए आपको जितने आभार कहूँ कम हैं | बाकि सभी लिंक तो हैं ही शानदार | सभी सहभागी रचनाकारों को सस्नेह शुभकामना और आपको हार्दिक बधाई आज के सफल लिंक संयोजन के लिए | सादर -------

    जवाब देंहटाएं

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