परन्तु वो तो फिर जुगाली करने में व्यस्त था...
मेरा भी परबचन का इरादा नहीं किया कि उससे कहूँ
स्वच्छता
उठा लो झाड़ू, उठा लो पोंचा
पहुँचो जहाँ कोई भी न पहुंचा
कोई जगह न रहने पाए
हर जगह को हम चमकाएं,
सपना यही है बस अपना
स्वच्छता
आओ हम सब मिलकर करें,
एक स्वच्छ और सुन्दर भारत का निर्माण ।
यहाँ के स्वच्छ गली, सड़क और कूचे,
बढ़ाये इस भारत देश का नाम ॥
स्वच्छता
परहेज़ करो बाहर की चीज़ों से
खाओ धोकर फल- तरकारी
अगर ना मानो मेरी बातें
होगी तुमको निश्चय बीमारी.
स्वच्छता
जब स्वच्छ रहेगा चतुर्दिक वातावरण।
तब ही स्वस्थ रहेगा भारत का जन-जन।।
स्वच्छ वातावरण अर्थात स्वच्छ पर्यावरण।
स्वस्थ तन ,स्वस्थ मन ,स्वस्थ जन- गण।।
स्वच्छता
स्वच्छ वस्त्र पहने हम, अपना, वातावरण भी स्वच्छ रखें ।
स्वच्छ जलाशय, स्वच्छ हो मंदिर, घर, कार्यालय स्वच्छ रखें ॥
गांधी के इन वचनों को हम, करें स्मरण, आचार में लाएं ।
अधिकारों की भीड़ हो गई, कुछ कर्त्तव्य भी क्यों न निभाएं ॥
><
आज इस सप्ताह का अंतिम दिन...
सभी के लिए
एक खुला मंच
आपका हम-क़दम
सातवें क़दम की ओर
इस सप्ताह का विषय है
...........यहाँ देखिए...........
शुभ प्रभात दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
अच्छी व आज आवश्यक
शानदार प्रस्तुति
सादर
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंघर और आसपास को स्वच्छ रखना हम सब की जिम्मेदारी है
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक्स....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद विभा जी।
जवाब देंहटाएं