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सोमवार, 26 फ़रवरी 2018

955....हम-क़दम का सातवाँ क़दम....प्रश्न

प्रश्न हैं, 
बने बनाये हैं, 
बहुत हैं, 
फिर किसलिये 
नये ढूँढने जाता है
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सादर अभिवादन....
इस बार काफी से कम रचनाएँ हैं
सोचनीय भी नहीं है....
आज की प्रस्तुति में आप पाठकों से राय अपेक्षित है...इस कार्यक्रम को चालू रखा जाए या बन्द किया जाए......यदि आप लोगों को अपनी सृजन क्षमता इससे प्रभावित होती है या विकसित होती है...या 
आपको कुछ नया सीखने को मिलता है.....कृपया बताएं
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आज देखिए किसने क्या लिखा
सब की मन अलग-अलग कहता है.....
यह प्रश्नों का संसार भी 
कितना निराला है !
विश्व के हर कोने में
कोने में बसे हर घर में
घर में रहने वाले 
हर इंसान के मन में
उमड़ते घुमड़ते रहते हैं 
ना जाने कितने प्रश्न,
बस प्रश्न ही प्रश्न !
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पा लेना ही प्रेम नहीं हो सकता है,
सब कुछ खोकर भी क्या प्रेम पनपता है?
प्रश्न किया जब जब मेरे मनमीत ने
उत्तर देने जन्म लिया एक गीत ने
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बच्चे  ने प्रश्न किया 
ममता क्या होती है ? 
मां ने कहा
तू हंसता मै तुझ में जीती
ममता यही होती है।

बच्चे ने प्रश्न किया
मां तूं कैसे जीती है ? 
मां ने कहा 
तूं मेरा प्रति पल जीता 
और मैं तुझ में जीती। 
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सखी रेणुबाला जी
हुआ शुरू  दो प्राणों का  -- मौन -संवाद-  सत्र  !
मन प्रश्न  कर  रहे - स्वयम ही दे रहे उत्तर  !!

हैं दूर बहुत  पर दूरी का  एहसास  कहाँ है ?
कोई और एक दूजे के इतना  पास कहाँ है ?
 न कोई पाया जान  सृष्टि का  राज    ये गहरा-
राग- प्रीत गूंज रहा हर  दिशा  में रह- रह कर !!
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प्रश्न अनेक और उत्तर एक 
प्रश्नों की लम्बी श्रंखला से
सत्य परक तथ्यों के हल 
न था सरल खोजना 
बहुत कठिनाई से
उस तक पहुंच पाते 
प्रश्न बहुत आसान लगते 
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उग आते हैं कुछ प्रश्न ऐसे
जेहन की जमीन पर
जैसे कुकुरमुत्ते
और खींच लेते हैं
सारी उर्वरता उस भूमि की
जो थी बहुत शक्तिशाली
जिसकी उपज थी एकदम आला
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"एक प्रश्न
वो बेटी
उस पिता से पूछती है,
"क्यों बोझ मान लिया मुझे?
मेरे जन्म से पहले ही,
क्या किसी बेटी को देखा है,
बूढ़े माता-पिता को वृद्ध आश्रम में भेजते हुए?...."

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अब इसमें क्या अच्छा है ?.
 मूलमंत्र माना इसे मैने....
और अपने मन में, सोच में , व्यवहार में
         भरने की कोशिश भी की....
परन्तु हर बार कुछ ऐसा हुआ अब तक,
         कि प्रश्न किया मन ने मुझसे ,
         कभी अजीब सा मुँह बिचकाकर...
           तो कभी कन्धे उचकाकर
       "भला अब इसमें क्या अच्छा है" ??
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सखी डॉ. इन्दिरा गुप्ता
यक्ष प्रश्न सी लिखी हुई है 
हर रेख चेहरे पर 
घूम घेर कर पूछ रही है 
क्या गलती थी जीवन भर ।
निश्चल नेह या निस्वार्थ कर्म 
क्या यही खोट था मेरा 
जिसके चलते जीवन से पहले 
पड़ाव आ गया मेरा ।

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सखी अनीता लागुरी 
यहां कुछ प्रश्न
मैंने भी पूछे
माँ  से अपनी...
क्यों  लड़के की चाह में
मुझे अजन्मा ही मारने चली..?
क्यों छठे माह तक
बिना किसी भय के
सींचती रही रक्त से अपने..!
सुनाती रही लोरी
और सहलाती रही
उदर को अपने...!!
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श्री पंकज प्रियम जी
न मन्दिर न मस्जिद
न चर्च न हो गुरुद्वारा
सबकुछ सबके दिल मे
फिर क्यूँ ढूंढा जग सारा
सब जानते फिर भी नही मानते हैं
हरबार एक नया प्रश्न पूछ डालते हैं

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अनुजा दिव्या अग्रवाल
कोई भी
नहीं चाहिए
प्रश्न अभी
घिरी हुई हूँ
अभी मैं बहुत से 
प्रश्नों से घिरी
नहीं न जीना 
चाहती मैं......ये 
छटपटाती ज़िन्दगी


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प्रश्न उठना और 
उठते प्रश्न को 
तुरंत पूछ लेना 
बहुत अच्छी बात है 
लेकिन 
किसी के लिये 
समझना जरूरी है 
किसी के लिये 
बस एक मजबूरी है 
प्रश्न कब पूछा जाये 
किस से पूछा जाये 
क्यों पूछा जाये 
सबसे बड़ी बात 
यह देखना 
पूछने के लिये 
उठे प्रश्न की 
क्या औकात है 
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अज़हद खुशी है... 
आप सभी का प्रतिसाद देखकर
अब आज्ञा दें यशोदा को
फिर मिलेंगे...







19 टिप्‍पणियां:

  1. आदरनीय यशोदा दीदी -- सुप्रभात व सादर प्रणाम | आज के लिंक में प्रश्नों की कतार देख मन बहुत रोमांचित है | सचमुच प्रश्नों से नित नित दो चार होना ही जीवन है |क्यों ,कहाँ ,कैसे में जीता इंसान जीवन गुजार देता है | और मेरी राय में ' हमकदम ' सिलसिला जारी रहना चाहिए क्योकि इस बहाने बहुत ही उम्दा सृजन हुआ है | पहाडी नदी अलाव और इन्द्र्धनुध विषयों पर अपनी रचनाएँ देख कर कम से कम मुझे तो यही लगा कि मैं शायद इन विषयों पर कभी ना लिख पाती अगर इसमें हमकदम का उत्साह ना होता | और प्रश्न श्रृंखला के सभी प्रश्न सार्थक हैं और समाज और आत्मा को झझकोरने वाले हैं | सभी ने बड़ी प्रखरता के साथ अपनी लेखनी चलायी है | कहीं अजन्मी बेटी के प्रश्नों को शब्द मिले हैं तो कहीं बच्चे के मासूम प्रश्नों से निसृत जिज्ञासा को वात्सल्यमयी माँ बड़ी उदारता से शांत कर रही है | अपने भीतर उमड़ते प्रश्नों को को भी इसी बहाने शब्द मिल गये | विषयगत रचना कर्म की कमी शायद रचनाकारों की निजी व्यस्तता भी हो सकती है क्योकि दिग्गज आजकल कम नजर आ रहें हैं | मैं इस सिलसिले को जारी रखने के हक़ में हूँ -- साथ ही सुझाव है कि विषय पर किसी भी तरह का मार्गदर्शन हरगिज ना किया जाये - सब रचनाकार को क्षमता पर छोड़ दिया जाए| सभी सहभागी रचनाकार साथियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाये देती हूँ | और आपको बहुत -बहुत साधुवाद और शुभकामनायें सफल संयोजन के लिए | सादर --

    जवाब देंहटाएं
  2. मेरी रचना को शामिल करने के लिए बहुत आभारी हूँ आपकी | माफ़ी चाहती हूँ कि अति व्यस्तता के चलते समय पर रचना भेज ना पाई फिर भी आपने रचना को लिंकों से जोड़ मुझे अनुग्रहीत किया |

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन संकलन
    उम्दा रचनायें

    जवाब देंहटाएं
  4. शानदार संकलन लिंक्स का |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. अद्भुत अप्रतिम रचनाओ का संकलन सखी यशोदा जी
    हर काव्य एक सी बढ़ कर एक प्रश्न काव्य ले आया .....वाह वाह पढ़ कर मन रोमांचित हो उठा।
    मानो 🎶🎶🎶🎶🎶
    जीवन की हर स्वास प्रश्न है हर कदम खड़े ढेरो संवाद ।संवादों मैं यक्ष प्रश्न है देते हर बात पर मात ।
    जीवन हुआ प्रश्न वाचक सा उत्तर का रहा सदा अभाव
    क्या कोई खोज पायेगा इन यक्ष प्रश्नों का कोई जवाब ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभात दीदी..
    प्रश्न पर विभिन्न रंगों ओर विचारों से सजी संकलन बहुत अच्छी है। सभी रचनाएँ विशेष और बधाई के पात्र है।
    फिलहाल इस सिलसिले को जारी रखा जाए
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  7. मेरी झोंपड़ी

    ईंट से ईंट जोड़ कर
    महल बना लिए तुमने
    पत्थरों को तराश
    शहर बसा लिए तुमने ,

    मेरी झोंपड़ी शायद
    तेरी औक़ात के करीब नही
    छनकर आती यह रोशनी
    फक़त मेरी है तेरा शरीक नहीं .

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
    सभी चयनित रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
    बात रही कार्यक्रम की तो यह कार्यक्रम बहुत अच्छा है
    एक कवी के रचनात्मकता को बढ़ावा देता है
    सिर्फ अपनी ही बीन बजाने में क्या मजा है
    मजा तो तब है जब चुनौती सामने हो और
    उसका सामना किया जाए और पार हो जाएँ
    सच देखा जाये तो इस नए कार्यक्रम को
    जितना अच्छा प्रतिसाद मिला शायद ही किसी को मिला हो
    रचनायें कम आने के कुछ व्यक्तिगत कारण हो सकते है
    पर कभी कभी छोटी हार भी बड़ी जीत का आगाज़ है

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आदरणीय यशोदा जी ,बहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति ।सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई । रही बात सिलसिला जारी रखने की , व़ तो रहना ही चाहिए ,इतना अच्छा मंच उप्लब्ध करवा रही है आप...हम सबकी सृजन शक्ति बढाने के लिए ......इस बार मैं भी व्यक्तिगत व्यस्तता के कारण समय नहीं दे पाई ...मेरा सादर अनुरोध है कि इस सिलसिले को जारी रखियेगा ।

      हटाएं
  9. हमकदम के साथ मंजिल तक का यह सफ़र बहुत खुशनुमां है यशोदा जी ! इस सफ़र को बीच में ही अधूरा मत छोड़िये ! यह एक बहुत ही सुन्दर सार्थक प्रयास है और रचनाकारों की रचनात्मकता के लिए बेहतरीन खाद पानी उपलब्ध करा रहा है ! मेरे विचार से यह सफ़र जारी रहना चाहिए ! विषयों की विविधता रचनाकारों को भी निश्चित रूप से उत्साहित एवं प्रेरित करती है ! मेरी रचना को आज की हलचल में स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार !

    जवाब देंहटाएं
  10. शुभ संध्या...
    एक अच्छा मंच...
    क़दम भी अच्छा....
    आप और हम..
    बने हम-क़दम...
    शुभकामनाएँ....
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  11. आदरणीय यशोदा दी बहुत ही अच्छा मंच है यह. यह सफर बीच में न रोका जाय.इसी बहाने, व्यस्त होते हुए भी किसी नए विषय पर कुछ नया लिखने के लिए मन उत्साहित होता है.
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत बहुत धन्यवाद.यह सफर यूँ ही चलता रहे.

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत खूब । आभार 'उलूक' के कबाड़खाने से ढूँढ लायी आप कुछ पुराना कबाड़। आभार यशोदा जी।

    जवाब देंहटाएं
  13. प्रश्न - इस विषय पर क्या लिखूँ ? जीवन, समाज, और परिवेश में नित नए प्रश्नों से जूझती रही हूँ....एक प्रश्न का उत्तर मिलता नहीं कि दूसरा सामने खड़ा हो जाता है...इस विषय पर नया कुछ नहीं लिख पाई। सच कहूँ तो अभी कुछ नया लिखने का मन नहीं हुआ। कुछ लोग ना लिख पाएँ दिए गए विषय पर, तो कोई बात नहीं। जिन्होंने लिखा और भेजा, उन्हें मान देते हुए हमकदम के इस सार्थक प्रयास को जारी रखना ही चाहिए। मैं भी इस बात से सहमत हूँ कि इस बहाने व्यस्त होते हुए भी नए सृजन के लिए उद्यत होता है मन...साथी रचनाकारों की एक ही विषय पर लिखी गई विविधरंगी रचनाओं को पढ़कर सीखने का भी मौका मिलता है। कभी कभी ऐसे भी लगता है कि अरे, यही तो मैने भी सोचा था।
    आज की रचनाओं में से कुछ पढ़ीं, कुछ बाकी हैं। सभी को नवीन सृजन की बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  14. हमकदम का यह मंच बहुत ही सुन्दर और सार्थक है...
    मुझ जैसे part time लेखक हर चुनौती स्वाकार न कर पायें तो कोई नहीं ....बाकी महानुभवी रचनाकार एक से बढ़कर एक रचनाओं का आस्वादन करवा रहे हैंं...बहुत ही सुन्दर मंच दिया है आपने सभी रचनाकारों को....ये सफर चलता रहे तो बहुत ही अच्छा है एक ही मंच पर एक विषय पर अलग अलग भावों से निर्मित रचनाएं पढने के लिए मन उत्साहित रहता है....
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार,।

    जवाब देंहटाएं
  15. "प्रश्न" जैसे बिषय पर अपना-अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करती ख़ूबसूरत रचनाओं का मनमोहक गुलदस्ता है आज का अंक.
    मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई कि इस मंच पर विभिन्न टिप्पणीकारों एवं रचनाकारों ने "हम-क़दम" को ज़ारी रखने की इच्छा प्रकट की है. हमारे लिये वास्तव में यह ख़ुशी देने वाला समाचार है.
    किसी बिषय पर रचना लिख पाना आसान नहीं है और जो रचनाकर इस प्रयास में सहभागी बने हैं उन्हें सादर नमन. अलग-अलग दृष्टिकोण उपलब्ध होता है वाचक के समक्ष एक ही बिषय पर और रचनाकर के भीतर प्रतिस्पर्धा का भाव जाग उठता है जो उससे श्रेष्ठतम अभिव्यक्ति काग़ज़ पर या फिर ब्लॉग पेज़ पर उकेरने को प्रेरित करता है.
    बेशक आपकी राय जानना हमारे लिये नितांत आवश्यक था जिससे हम अपने कार्यक्रमों में समयानुकूल परिवर्तन कर सकें.
    आप सभी का हृदय टल से आभार.
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनायें.
    आदरणीया यशोदा बहन जी को उनके अथक प्रयासों के लिये बधाई एवं आभार.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कृपया हृदय टल को हृदय तल पढ़िएगा. सधन्यवाद.

      हटाएं
  16. आदरणीया यशोदा जी, हमकदम के कदम से क़दम मिलाना एक बहुत ही सुखद अनुभव है । कभी विषय पर विचारधारा के अनुसार व्यक्त करके और कभी पाठिका बन कर सहज आनंद उठाकर। एक ही विषय पर विभिन्न दृष्टिकोण हमारे विचारों को भी एक कदम आगे बढ़ाते हैं ।
    'प्रश्न ' एक ऐसा ही विषय साबित हुआ जिसने अलग अलग क्षेत्रों में अपनी धाक से परिचित करवाया ।सुंदर लिंक संयोजन । सभी रचनाकारों को सृजनात्मकता से परिपूर्ण एक और सफ़ल क़दम बढ़ाने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं

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