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शनिवार, 10 फ़रवरी 2018

939... ~टेडी डे~प्रेम~




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प्यार बताने की चीज या जताने की
जिन्हें मिलता जी कहता मताने की
निश्छल परिभाषा में गढ़ा क्या कोई
उलझे धागे रफू ताने बाने सताने की

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फिर मिलेंगे🙃 क्यूँ मिले...🤔
 कल चॉकलेट भेजे थे क्या...
आज टेडी भी मैं ही लाई...
जाओ रिसिया गई...


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हम-क़दम-5  
सभी पाठकों के लिए एक खुला मंच है 
हमारा नया कार्यक्रम 
हम-क़दम । 
आपका हम-क़दम अब पाँचवें क़दम की ओर..... 
इस सप्ताह का विषय है...
...यह चित्र

:::: पहाड़ी नदी  ::::
परिलक्षित हो रहे दृष्यों को आधार मानकर
आपको एक कविता लिखनी है-
उदाहरणः

बनाती राह ख़ुद अपनी सँवारे ज़िन्दगी सबकी,
पाले गोद में सबको करे ना बात वो मजहब की।
करे शीतल मरुस्थल को वनों को भी दे जीवन,
सींचकर फसलों को वो खेतों को दे नव यौवन।

करे निःस्वार्थ वो सेवा न थकती है न रुकती है॥
नदी जब चीरकर छाती पहाड़ों की निकलती है॥

आप अपनी रचना आज शनिवार 10 फरवरी 2018  
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं।
चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक
12 फरवरी 2018  को प्रकाशित की जायेंगीं। 
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारे पिछले गुरुवारीय अंक 



12 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी दीदी
    सादर नमन
    आखिर आप भी रंग गई
    इस प्रेमलीला में
    14 को ताण्डव भी होगा
    हांथ में धतूरे का फूल जरूर
    रखिएगा
    अच्छी प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात् विभा दी,
    प्रेम के रंग रंगी रचनाएँ बहुत सुंदर हैं। हमेशा की तरह अलग प्रस्तुति एवं आकर्षक प्रस्तुति बहुत अच्छी लगी दी।

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम में डूबा ये वैलेंटाइन वीक, प्रेम के सुखद अहसासो से अवगत करा रहा है ऐसा ही पढ़कर अहसास हुआ... सुंदर प्रस्तुति...!!

    जवाब देंहटाएं
  4. लाजवाब प्रस्तुतिकरण प्रेम के रंग में रंगे खूबसूरत लिंक संकलन.....

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर प्रस्तुति आदरणीय विभा दी की....इस बार का रंग ही अलग है....प्रेम की खुशबू से सराबोर !

    जवाब देंहटाएं
  6. आदरणीय विभा दीदी -- सादर प्रणाम | आपकी अलग अदा की प्रशंसक हूँ | मैं नहीं जानती टेडी बार डे के बारे में हां प्रेम पर बशीर बद्र का एक शेर बहुत ही पसंद है --

    सरे राह कुछ भी कहा नहीं, कभी उसके घर में गया नहीं
    मैं जनम-जनम से उसी का हूँ, उसे आज तक ये पता नहीं--
    सभी कथित प्रेमियों को शुभकामनाएं | और आपको सादर हार्दिक बधाई मेहनत से संजोये रंगीले संयोजन के लिए |

    जवाब देंहटाएं
  7. बचपन फिर ना लौटेगा

    वो बचपन की किलकारियां
    ना कोई दुश्मन ना यारियां
    सर पे ना कोई ज़िम्मेदारियाँ
    वो मासूम सी होशियारियाँ,

    वो बचपन फिर ना लौटेगा !

    वो धूप में नंगे पाँव दौड़ना
    कभी कीचड़ में लौटना
    ना हारना ना कभी थकना
    कभी बे वजह मुस्कुराना,

    वो बचपन फिर ना लौटेगा !

    गली गली बेवजह दौड़ना
    खिलोने पटक कर तोड़ना
    टूटे खिलोने फिर से जोड़ना
    छोटी छोटी बात पर रूठना,

    वो बचपन फिर ना लौटेगा !

    कभी मिटटी के घर बनाना
    घरों को फिर मिटटी से सजाना
    कभी दिन भर माँ को सताना
    फिर माँ की छाती से लिपट सो जाना,

    वो बचपन फिर ना लौटेगा
    हाँ !! वो बचपन फिर ना लौटेगा



    https://deshwali.blogspot.com/2018/02/blog-post_11.html

    जवाब देंहटाएं

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