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मंगलवार, 19 अप्रैल 2022

3368 ....एक से अधिक नदियाँ हैं जो समुद्र तक नहीं पहुंच पाती।

सादर अभिवादन.....
सामान्य ज्ञान....
भारत की एकमात्र नदी कौन सी है जो कभी समुद्र तक नहीं पहुंचती?
कभी-कभी किसी क्षेत्र में कोई एक व्यक्ति बहुत ही प्रसिद्ध हो जाता है तो यह भुला दिया जाता है कि अनेक उस व्यक्ति की प्रतिभा के समान की प्रतिभा रखते हैं। 

जैसे भारत के स्वाधीनता संग्राम में लाखों व्यक्तियों ने अपने जीवन की आहुति दी किन्तु हम मात्र उन गिने-चुने व्यक्तियों के नाम जानते हैं 
जिन्होंने हमारी पाठ्य पुस्तकों और राजनीतिक दलों में अपना नाम छपवा लिया।

वैसे ही नाग पहाड़ियों से निकली लूणी जो थार के रेगिस्तान से बहती हुई कच्छ के रण में पहुँच कर लुप्त हो जाती है, 
उसी को एकमात्र ऐसी नदी मान लेते हैं। 
किन्तु ऐसी एक से अधिक नदियाँ हैं जो समुद्र तक नहीं पहुंच पाती।

अब रचनाएँ ...



खेतों के सिरहाने
बैठी नहाने
पगडंडी की धूल
लगी गुनगुनाने  ।




मैं सांस ले रहा हूँ,
चल-फिर रहा हूँ,
खा-पी रहा हूँ,
सारे काम कर रहा हूँ,
पर मुझे अपना दिल




मैंने चाँद बनकर धरा को देखा
लहू से सराबोर
लोगों को झूमते गाते देखा
संग बहते हुए हवाओं के
इक बूँद श्वास के लिए तरसते देखा




"लाहौल विला कुव्वत!...इस लाला की पकौड़ियों ने तो सारे शहर का हाजमा बिगाड़ रखा है। मनहूस के बदबूदार धुएँ से न मालूम कब निजात मिलेगी...या अल्लाह!"
"मियाँ, पकौड़ियों से तो बस हाजमा ही बिगड़ेगा लेकिन तुम्हारी इन आदम जमाने की दवाओं से तो सारा शहर ही सिधार जाए, राम-राम!"




दाल-चावल को बनाने से 1-2 घंटे पहले धो कर भिगो कर रख दीजिए। इससे दाल-चावल जल्दी बनेंगे तो गैस की बचत होगी। दूसरे दालों को पकाने से पहले भिगो कर रखने से उनमें मिनरल्स का अवशोषण बेहतर होता है और दाल जल्दी पचती है।



रीते नयन, भीगे-भीगे पल क्या लिखूँ?
सूना आँगन - सूना उपवन, उल्लास प्रेम का क्या लिखूँ?

वे सावन संग भीगे थे हम, रुत वसंत झूमे थे संग,
मकरंद प्रेम का बिखरा था, बूँदों में तन-मन पिघला था,
तुम संग सब मौसम बीते, पतझड़ का सूनापन क्या लिखूँ ?

आज बस
सादर

7 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात! सामान्य ज्ञान में अच्छी जानकारी मिली, पठनीय रचनाओं के सूत्रों का सुंदर संकलन, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा संकलन। मेरी रचना को पांच लिंको का आनन्द में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, दिग्विजय भाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. अति सुंदर..
    लूणी नदी की पोस्ट पूरी कीजिए
    आभार..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर प्रस्तुति.मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  5. मैं चर्चा में शामिल नहीं हुआ, क्षमा चाहता हूँ, मेरे ताँका को लिंक करने के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं

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