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मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

3361....स्मृतियों की खिड़की

मंगलवारीय अंक में 
आप सभी का स्नेहिल अभिनंदन।
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यशोदा दी अपने स्वरग्रंथी के
चिकित्सा के लिए चेन्नई गयी हैं।

प्रकृति का नियम है जब हम अपने व्यापक रूप को पा रहे होते हैं तो एक पीड़ा से गुजरना पड़ता है.... और अज्ञानता में हम समझते हैं की दुश्वारियां हमें घेरे हैं... हम उलझते-जूझते भी हैं... लेकिन सच्चाई ये है कि हम अपना  स्वयं से अधिक दृढ़-बेहतरीन-योग्य रूप पा रहे होते हैं, जिसमें परिस्थितियां उपकारी बनकर हमारे समक्ष आती हैं....! हम नासमझी में कभी ईश्वर को दोष देते हैं... कभी मनुष्य को... कभी भाग्य को... कभी प्रारब्ध को... लेकिन स्वयं के असीम सामर्थ्य के अगले सोपान पर हम बढ़ रहे ऐसा नहीं क्यों नहीं सोच पाते...!

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बिना किसी विश्लेषण के
आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-


माना  दुःख-दर्द ढेरों हैं जमाने में 

इश्क़ महके है अब भी हर फ़साने में 

 

लोग तैयार हैं अदावतों की खातिर 

लुत्फ़ आता है पर हँसने-हँसाने में 


 


बीत जाते हैं बरस दिन
इक कुहासा याद का
उर्मि सुधि की एक चमके
तर्क फिर अतिवाद का
होंठ खिलती रेख स्मित
लो महकते पुष्प दल।।




हर कहना सुनना नहीं होता !!
ठीक इसी तरह, हम चुप रहे!
चुप्पी, हमारे बीच बिछी रही सूखी पत्तियों सी, और
संबंध, उनके टूटने की आवाजों में धँसते रहे/ धीरे -धीरे
प्रेम हमारे बीच,
गायब रहा पहले दिन से ही
और मैं टूटे हुए क्षणों में उसे ढूंढता रहा/साल-दर-साल
बिला-वजह!


अगली बार आयी तो शबनम को कुछ और जाना,  जाना कि वह पहले दादी के पास गाँव में थी तो दादी उसे पाठशाला भेजती थी ।  हिसाब (गणित) में बड़ी तेज है शबनम दीदी ! कक्षा पाँच तक पढ़ी है । हिसाब वाले गुरूजी बोले थे दादी को, आगे पढ़ाना इसे ।


और चलते-चलते 
 किसी एक अदद अंडाणु से संधि कर के,
लाने वाला हम मानव को अस्तित्व में, 
महासमर का गवाह रहा, 
एक अदद शुक्राणु ही तो कहीं .. कारण नहीं,
बुनियादी तौर पर हम इंसानों के फ़ितरती लड़ाकू होने का ?
साहिब ! .. सोच रहे होंगे आप भी ..
कर दिया खराब हमने छुट्टी के दिन भी,
आपका दिन, आपका मन, आपका सारा दिनमान।

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आज के लिए इतना ही
कल मिलिए प्रिय पम्मी दी से
विशेष अंक के साथ।

15 टिप्‍पणियां:

  1. जी ! नमन संग आभार आपका .. मेरी बतकही को अपने मंच पर अपनी प्रस्तुति का हिस्सा बनाने के लिए ...
    आपकी हर बार की तरह इस बार की प्रेरणात्मक भूमिका की तरह ही .. आज की भूमिका के माध्यम से ज्ञात हुआ .. आज आपकी शुक्रवारीय की जगह पर मंगलवारीय प्रस्तुति को प्रस्तुत करने की वजह .. प्रकृति और चिकित्सा विज्ञान के अनुपम उपहारस्वरूप यशोदा जी को स्वस्वर वापस मिल जाए .. ऐसी अनगिनत शुभकामनाएं मुझ सहित उनके हर चाहने वालों की ओर से और चंद दुश्मनों की ओर से भी ...
    सुना है कि दुश्मन अगर दुआ करे तो वो शत्-प्रतिशत फलित होता है .. शायद ...
    इस मंच के माध्यम से चेन्नई के चिकित्सालय में उनको सुप्रभातम् सह नमन .. बस यूँ ही ...

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार...
      जांच जारी है..
      सादर..

      हटाएं
    2. 🙏 जी ! प्रकृति आपके पक्ष में सकारात्मक रहे ऐसे पलों में ...

      हटाएं
  2. यशोदा दी को शीघ्रताशीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो...वे जल्द स्वास्थ्य लक्क़ब्ह पाकर घर वापस आए यही शुभकामनाएं....

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रकृति का नियम है जब हम अपने व्यापक रूप को पा रहे होते हैं तो एक पीड़ा से गुजरना पड़ता है.... और अज्ञानता में हम समझते हैं की दुश्वारियां हमें घेरे हैं..
    बहुत सटीक एवं सारगर्भित भूमिका के साथ उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब हलचल प्रस्तुति...मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार प्रिय श्वेता जी !

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रिय श्वेता,सबसे पहले यशोदा दीदी के लिए ढेरों शुभकामनाएं।ईश्वर उनका इलाज सफल करे,यही प्रार्थना है। ब्लॉग जगत से उनके अनगिन शुभचिंतकों की दुआएं उनके साथ हैं।
    सुन्दर भूमिका और सार्थक रचनाओं के साथ सजा है आज का अंक ।भूमिका में लिखी गई पँक्तियाँ गहन जीवन बोध की परिचायक हैं। असल में व्यक्तित्व के विस्तार के साथ हमसे दूसरोँ की अपेक्षाएँ भी बढ जाती हैं और हमारी कामनाएँ भी रुकती नहीं।यही दुख और संताप का मूल है कदाचित!!।सभी रचनाकारों को सादर नमन और शुभकामनाएं।आभार और बधाई इस भावपूर्ण अंक के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. सबसे पहले यशोदा के लिए हृदय से प्रार्थना । सारे परीक्षण सफल रहें । बाकी तो सबको अपनी परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है ।जो भोगना है सो भोगना है निमित्त कोई भी हो ।
    साते लिंक्स बेहतरीन लगे । आभासर ।

    जवाब देंहटाएं
  6. गूढ़ चिंतन के सहित बहुत सुंदर और सकारात्मक पहलू के साथ पूरी प्रस्तुति का सार समेटे सुंदर भूमिका।
    सभी रचनाएं बहुत आकर्षक पठनीय।
    सभी रचनाकारों को बधाई।
    मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार प्रिय श्वेता।
    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  7. यशोदा जी के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करती हूँ प्रभु से, कोई सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो बस यही प्रार्थना है।
    हृदय से असीम शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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